बच्चों से पीरियड्स के बारे में बात करने में भारतीय अभिभावक अभी भी झिझकते हैं। कई मां-बाप जीवन की इस सच्चाई को खुलकर और आत्मविश्वास के साथ बच्चों के सामने रखने से कतराते हैं। उनका बेटा या बेटी जब इस बारे में बात करता है तो इससे कतराते हैं। काउंसलर्स की मानें तो इससे बचने की कोशिश करना, इसका समाधान नहीं है। बल्कि इस बारे में खुलकर बात करने में कोई हर्ज नहीं है। बस ध्यान रखें कि आप सामान्य तरीके से बात करें। यहां कुछ टिप्स हैं जिनसे आपको इस विषय को हैंडल करने में मदद मिल सकती है।
कब शुरू करें बात करना
काउंसलर्स का कहना है कि इसका कोई हार्ड ऐंड फास्ट रूल नहीं है कि आप बच्चे से किस उम्र में इस बारे में बात करें। जाहें तो जब वह स्कूल की किसी दोस्त का ऐसा अनुभव साझा करें तब बता सकते हैं या बढ़ती उम्र के साथ धीरे-धीरे बताना शुरू कर सकती हैं।
और पढ़ें : मच्छर : सबसे घातक परजीवियों में से एक, मलेरिया और डेंगू से हर साल 4 लाख से अधिक होती हैं मौतें
सवालों के दें जवाब
बेटा या बेटी अगर इस बारे में सवाल करे तो उसे हत्तोत्साहित न करें। कोई भ्रमित करने वाली बात न बताएं। जैसे टीवी पर जब सैनिटरी नैपकिन का ऐड आए तो टीवी न बंद करें। बल्कि अगर वे इस बारे में सवाल करें तो प्रायॉरिटी से इस बारे में बताएं।
उलझाने वाले शब्दों का इस्तेमाल न करें
जो तथ्य हैं उन्हें उलझाकर सामने न रखें। जो सही टर्म हों बच्चों को वही बताएं। बच्चों को कहें कि वे इस विषय में पढ़ें या इस पर शिक्षा या बायॉलजी के विडियो देखें।
विशेषज्ञों से बात करें
अगर आपको अभी भी समझ नहीं आ रहा कि कैसे बात करें तो स्कूल के टीचर्स या काउंसलर्स से बात करें। मुद्दा यह है कि आप को आरामदेह अनुभव करना है। याद रखें कि यह भी एक सामान्य बात है और इस पर शर्मिंदा होने जैसी कोई बात नहीं।
ज्यादा ख़बरों के लिए आप हमारे फेसबुक पेज पर भी जा सकते हैं : https://www.facebook.com/avnpostofficial
This post has already been read 40296 times!