Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट में सातवीं जेपीएससी परीक्षा के कट ऑफ डेट मामले को चुनौती देने वाली अपील याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कट ऑफ डेट से छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार की गलती का खामियाजा छात्र भुगत रहे है। वर्ष 2017 से सरकार ने परीक्षा नहीं ली। वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र कहां जाएंगे, सरकार ने कट ऑफ डेट बदल दिया। यह सरकार का अधिकार है, लेकिन इससे कई छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जायेंगे।
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रीना कुमारी और अमित कुमार और अन्य की ओर से दायर अपील याचिका पर वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और कुमारी सुगंधा ने कोर्ट में पक्ष रखा। प्रार्थियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कट ऑफ डेट में बदलाव के कारण हजारों छात्र परीक्षा देने से वंचित रह जायेंगे। सरकार की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने अदालत को बताया कि सरकार द्वारा कट ऑफ डेट की निर्धारित की गयी तिथि सही है और काफी विचार के बाद यह निर्णय लिया गया है। यदि कोई कट ऑफ निर्धारित किया जाता है तो सिर्फ इस आधार पर काफी संख्या में अभ्यर्थी बाहर हो जायेंगे। ऐसा निर्णय नहीं लिया जा सकता।
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मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में हुई। प्रार्थियों के द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2020 में संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए निकाले गए विज्ञापन में उम्र का कट ऑफ डेट 2011 रखा गया था, लेकिन उस विज्ञापन को वापस ले लिया गया। एक साल बाद ही जेपीएससी की ओर से संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला गया है, जिसमें कट ऑफ डेट एक अगस्त 2016 रखा गया है। प्रार्थियों ने इसे घटाकर एक अगस्त 2011 करने की मांग की है।
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