मिल्खा सिंह: वह पहला सुपरस्टार जो दौड़ता नहीं, उड़ता था

कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैंक ऐंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय

1958 के तोक्यो एशियन गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर में गोल्ड मेडल

200 मीटर की दौड़ में मिल्खा ने पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराया

चंडीगढ़ । पूरा भारत आज गम में डूब गया है भारत की शान मिल्खा सिंह ने शुक्रवार रात को चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली। भारतीय खेल का जब भी जिक्र होगा मिल्खा सिंह का नाम सबसे ऊपर की लिस्ट में लिखा जाएगा। वह देश के पहले ट्रैंक ऐंड फील्ड सुपर स्टार थे। वह पहला सुपरस्टार जो दौड़ता नहीं, उड़ता था। मिल्खा सिंह के करियर का सबसे खास लम्हा तब आया जब वह1960 के रोम ओलिंपिक में वह सेकंड के 100वें हिस्से से पदक से चूक गए थे। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने 1956 के मेलबर्न ओलंपिक खेलों में  200 और 400 मीटर मुकाबले में भारत की नुमाइंदगी की। साल 1958 में मिल्खा सिंह ने कटक में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय खेलों में  200 और 400 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड स्थापित किया और इसी फॉर्मेट में एशियाई खेलों में सोने का तमगा जीता। इसी वर्ष मिल्खा सिंह ने ब्रिटिश एंपायर के कॉमनवेल्थ खेलों में 400 मीटर दौड़ को रिकॉर्ड तोड़ समय में जीतकर सोने का तमगा प्राप्त किया।  इस उपलब्धि के चलते मिल्खा सिंह आजाद भारत के पहले सोने का तमगा वाले  खिलाड़ी बने। 


मिल्खा सिंह  के बाद विकास गोंडा ने वर्ष 2014 में सोने का तमगा जीता था। वर्ष 1962 में  जकार्ता शियाई खेलों में  मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और 400 मीटर रिले रेस में भी सोने का तमगा जीता था। उन्होंने वर्ष 1964 में  टोक्यो ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा लिया। 

मिल्खा सिंह

एशिया में चलता था मिल्खा का सिक्का
मिल्खा सिंह की पहचान एक ऐसे ऐथलीट के रूप में थी जो बेहद जुनूनी और समर्पित ऐथलीट के रूप में थी। 1958 के तोक्यो एशियन गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर में गोल्ड मेडल हासिल किया। मेलबर्न ओलिंपिक में मिल्खा फाइनल इवेंट के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाए थे। लेकिन उनमें आगे बढ़ने की तलब थी। उन्होंने अमेरिका के चार्ल्स जेनकिंस से बात की। जेनकिंस 400 मीटर और 4×400 मीटर रिले के गोल्ड मेडलिस्ट थे। उन्होंने जेनकिंस से पूछा कि वह कैसे ट्रेनिंग करते हैं। उनका रूटीन क्या है। जेनकिंस ने बड़ा दिल दिखाते हुए मिल्खा के साथ सारी बातें साझा कीं।

इसे भी देखे …..

 Filmi Funda || Watch Videos || फ़िल्मी जगत की चटपटी खबरों को देखे

गरीब किसानों को दिया जा रहा है घटिया खाद बीज : दीपक प्रकाश

52 साल तक कायम रहा मिल्खा का रिकॉर्ड
मिल्खा कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैंक ऐंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनका यह रेकॉर्ड 52 साल तक कायम रहा। डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने 2010 के गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद विकास गौड़ा ने 2014 में सोने का तमगा हासिल किया। मिल्खा सिंह के सोने के तमगे का खूब जश्न हुआ। उनके अनुरोध पर तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था।


एथलेटिक रिकॉर्ड और सम्मान 
-प्रथम स्थान, 1958 एशियाई खेल में 200 मीटर दौड़-प्रथम स्थान, वर्ष 1998 एशियाई खेल में 400 मीटर। -प्रथम स्थान,1958 कॉमनवेल्थ खेल 440 मीटर यार्ड। -प्रथम स्थान, 1960 दोस्ताना दौड़ 200 मीटर पाकिस्तान में ( यहीं से उन्हें उड़ता सीख कहा जाने लगा)  -चतुर्थ स्थान, वर्ष 1960 समर ओलंपिक 400 मीटर (नेशनल रिकॉर्ड)। – प्रथम स्थान, 1962 एशियाई खेल 400 मीटर। -प्रथम स्थान, 1962 एशियाई खेल 400 मीटर रिले दौड़। -दूसरा स्थान 1964 कोलकाता राष्ट्रीय खेल। 

मिल्खा के नाम 10 एशियन गोल्ड
हालांकि एशियन गेम्स के 400 मीटर के फाइनल के दिन मिल्खा ने फिर सोने का तमगा जीता और युवा साथी को आधे सेकंड के अंतर से मात दी। यह जोड़ी 4×400 मीटर की टीम में साथ आई। इनके साथ दलजीत सिंह और जगदीश सिंह बी थे। इन्होंने एशियन गेम्स का रेकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 3:10.2 सेकंड का समय लिया। इस तरह मिल्खा के नाम कुल 10 एशियन गोल्ड मेडल हो गए।

This post has already been read 8164 times!

Sharing this

Related posts