मोबाइल फोन के आविष्कार से कम्युनिकेशन जितना सरल हुआ है, उससे कहीं अधिक जीवन को आसान बनाने में योगदान दिया है. स्मार्टफोन्स में काम लिए जाने वाले एप्स ने स्मार्टफोन एप्लिकेशंस की वजह से आज आपका फोन एक पूरी दुनिया इसके अंदर समेटे हुए है. चूंकि मोबाइल एप डेवलपमेंट का क्षेत्र अभी उभर रहा है और इस क्षेत्र में संभावनाएं भी जबरदस्त हैं, इसलिए इस क्षेत्र के लिए खुद को तैयार करते हुए आप अपने करिअर को विस्तार दे सकते हैं. इस क्षेत्र में महारत हासिल करने के साथ ही देश-विदेश में आपके लिए जबरदस्त मौके उपलब्ध होंगे. कहीं जॉब करने से लेकर आपके पास एंटरप्रेन्योरशिप तक के अवसर मौजूद होंगे. ऐसे में यह बिलकुल सही समय है जब इस क्षेत्र में करिअर बनाने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है.
कोर्सेज व विशिष्ट क्षेत्र: वर्तमान में ऑपरेटिंग सिस्टम्स की यदि बात की जाए तो एंड्रॉइड, आईओएस, विंडोज, ब्लैकबेरी आदि नाम ही सामने आते हैं, साथ ही एप्स भी दो तरह के ही हैं जिनमें नेटिव एप्स (जो किसी एक ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करते हैं) और मोबाइल वेब-बेस्ड एप्स (जो किसी भी ओएस पर लॉन्च किए जा सकते हैं) शामिल हैं. आप इस क्षेत्र में आने के लिए इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग या एमसीए जैसे कोर्स कर सकते हैं. इसके साथ ही आपको सी, सी++, ऑब्जेक्टिव सी जैसी कम्प्यूटर लैंग्वेजेज भी आनी चाहिए. एप डेवलपर्स कोर्स में आप यूआई डिजाइन के बेसिक्स सीखते हैं. आप किसी खास ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एप्स डिजाइन करने से संबंधी कोर्सेज (सर्टिफिकेट, डिप्लोमा आदि) कर सकते हैं.
स्कोप व फंक्शंस: एक एप डेवलपर, मोबाइल यूआई डिजाइनर, यूजर एक्सपीरिएंस व यूजेबिलिटी एक्सपर्ट, एप्लिकेशन डेवलपर या इंजीनियर आदि तीन प्रमुख भूमिकाएं निभाता है. चूंकि सोशल मीडिया सहित स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या में नियमित तौर पर उछाल आ रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र में जबरदस्त स्कोप मौजूद है. विभिन्न सर्विस प्रोवाइडर्स और ई-कॉमर्स कंपनीज अपने एप्स के लुक्स व डिजाइन्स के अलावा उन्हें सिक्योर व अपडेट रखने के लिए प्रोफेशनल्स हायर करते हैं. आप किसी एप डेवलपर कंपनी से जुड़ने के साथ ही पर्सनल लेवल पर भी एप डिजाइनिंग कर उन्हें यूजर्स के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं. विभिन्न ओएस और लैंग्वेजेज सीखने के साथ ही फील्ड से अपडेटेड रहने के लिए आपको नियमित अंतराल पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा जैसे शॉर्ट टर्म कोर्सेज करने होंगे, साथ ही मार्केट में आने वाले एप्स और उनके फीचर्स से खुद को जोड़कर रखना होगा,अन्यथा आप पिछड़ सकते हैं.
इंस्टीट्यूट्स:
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास
-अपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीमीडिया, कोयंबटूर
-एंड्रॉइड इंस्टीट्यूट, कोलकाता
-आईएसएम यूनिवर्सिटी, बंगलुरू
-सी-डैक, पुणे
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