रांची। वामदलों ने गुरुवार को राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकाला। प्रतिवाद मार्च सैनिक बाजार से अल्बर्ट एक्का चौक तक निकला। प्रतिवाद मार्च में बड़ी संख्या में वामदलों के कार्यकर्ता शामिल हुए। एनआरसी, कैब वापस लो ,धार्मिक आधार नागरिकता कानून नहीं चलेगा के जोरदार नारे के साथ प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में भाकपा, माकपा, और भाकपा माले समेत कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
मौके पर माले राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध इसलिए नहीं हो रहा है कि इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा रही है बल्कि, विरोध की वजह यह है कि यह पूरे देश में एनआरसी लागू करने की तैयारी है। धार्मिक आधार पर नागरिकता संशोधन लाया जाना, संविधान विरोधी है।
भाकपा के जिला सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार यह जवाब दे कि अगर देश में कोई अवैध नागरिक है तो उसके लिए पहले से ही फारनर्स एक्ट बना हुआ है, जिसके तहत कार्रवाई की जा सकती है। फिर नागरिकों पर ही उन्हें खुद को नागरिक साबित करने की जिम्मेदारी क्यों डाली जा रही है? मोदी और अमित शाह चीख-चीख कर अपने भाषणों में कह रहे हैं कि मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है। अगर वह सचमुच भरोसा दिलाना चाहते हैं तो असम में डिटेंशन सेंटर बंद करके इसकी शुरुआत करें।
माकपा के सुखनाथ लोहरा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून अगर लागू हुआ, तो पांच लाख से अधिक आदिवासी-मूलवासी नागरिकता से बाहर हो जायेंगे। साथ ही इनके संरक्षण के लिए बने सीएनटी-एसपीटी एक्ट जैसे कानून निष्प्रभावी हो जायेंगे। इस कानून का विशेष प्रभाव टाना भगत समेत आदिम जनजातियों पर पड़ेगा।
कार्यक्रम में मासस के वरीय नेता सुशांतो मुखर्जी, माले नेता भुवनेश्वर केवट, भीम साहू, एनामुल हक़, आइटी तिर्की, भाकपा नेता उमेश नज़ीर, सच्चिदानंद मिश्रा, इशाक अंसारी सहित अन्य कई लोग मौजूद थे।
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