गिरिडीह । एकबार पार्टी छोड़कर वापस लौटे भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र कुमार राय अब पार्टी से और बगावत करने के पक्ष में नहीं है। उनका इरादा रघुवर दास सरकार के मंत्री सरयू राय की राह पर चलने का भी नहीं है।
बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी आलाकमान सीटिंग रहते हुए कोडरमा से टिकट नहीं दिये जाने और विधानसभा चुनाव में भी गिरिडीह सीट से टिकट नहीं दिये से मायूस रवीन्द्र राय पार्टी संगठन को मजबूत करने और चुनाव में पार्टी के 65 प्लस के आंकड़े को हासिल करने की दिशा में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का काम करेंगे।
रवीन्द्र ने झारखंड विकास मोर्चा में जाने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मौकापरस्त कुछ विरोधी इस प्रकार की अफवाह फैलाकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने में लगे हैं। वे भाजपा के कैडर हैं इसलिए पार्टी से बगावत करने का सवाल हीं नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में एकबार फिर भाजपा की ही सरकार बनेगी।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में बाबूलाल मंराडी ने भाजपा से अलग होकर अपनी पार्टी झाविमो बनायी थी। तब रवीन्द्र राय भी भाजपा को अलविदा कहकर बाबूलाल के साथ हो लिये थे। लेकिन बाद के वर्षों में रवीन्द्र राय झाविमो से नाता तोड़कर अपने पुराने घर भाजपा में वापस लौट आए। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने भी रवीन्द्र को संगठन में सम्मान देते हुए प्रदेश प्रमुख की कुर्सी पर बिठाया। राय के नेतृव में 2014 के दोनों चुनावों में पार्टी को अपेक्षित सफलता मिली। राय स्वयं भी कोडरमा लोकसभा से जीतकर सांसद बने, लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काटकर राजद से आयी अन्नपूर्णा देव को उम्मीदवार बना दिया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार विधानसभा चुनाव में राय गिरिडीह सीट से टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने मना कर दिया। पार्टी धनवार से उन्हें टिकट देने की पक्षधर थी, लेकिन इसके लिए राय ने इनकार कर दिया । इसके बाद लगातार सोशल मीडिया पर कयास लगाया जा रहा था कि रवीन्द्र राय भाजपा से बगावत कर झाविमो में जा सकते हैं। लेकिन रवीन्द्र राय ने ऐसी अफवाओं को सिरे से खारिज कर अपने को भाजपा का कर्तव्यनिष्ठ सिपाही बताया।
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