भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों पर सुनवाई से अलग नहीं होंगे जस्टिस अरुण मिश्रा

  • संविधान बेंच का सर्वसम्मति से फैसला,  याचिका खारिज

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों पर सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने जस्टिस अरुण मिश्रा को इस मामले की सुनवाई से अलग हो जाने की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दिया है। संविधान बेंच के सभी पांच जजों ने ये फैसला सर्वसम्मति से सुनाया। कोर्ट ने कहा कि वह इस मसले को मेरिट के आधार पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता जस्टिस अरुण मिश्रा को इस सुनवाई से अलग हटने की इसलिए मांग कर रहे थे क्योंकि उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण के मामले में अपना फैसला सुनाया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि अगर हम इस मांग पर झुक जाएंगे तो बेंच तय करने जैसा होगा। आप अपने हिसाब से बेंच तय करना चाहते हैं? ये हमारे सिस्टम की बुनियाद को खत्म कर रहा है। जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि इस मांग के पीछे गरीब किसान नहीं हो सकते हैं।  हम ये जवाबदेही के साथ कह रहे हैं। इस मामले पर वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा था कि इस मामले में पक्षपात की संभावना है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अरुण मिश्रा के सुनवाई से अलग होने की मांग का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ऐसे कई मामले आए हैं जिसमें एक जज ने जिस विषय पर फैसला दिया है उसी विषय पर बनी बड़ी बेंच का वो हिस्सा रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 24 की व्याख्या करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सुनवाई शुरू की थी। इस बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा के अलावा जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस रविंद्र भट्ट शामिल हैं।

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