- –परपंरागत जल संचय पर दिया जोर आहर,पइन एवं तालाब का करें जीर्णोद्धार
गया: जलपुरुष के रूप में विख्यात राजेंद्र सिंह ने कहा है कि धरती के बुखार के कारण इस साल गया में भीषण गर्मी और लू के कारण लोगों की असामयिक मौत हुई है। वे सेंट्रल बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स सभागार में शुक्रवार को आयोजित जल चर्चा समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परंपरागत आहर,पइन और तालाब को पुनर्जीवित करना होगा। भगवान गया और बिहार को काफी पानी बारिश के माध्यम से देते हैं लेकिन बारिश के उस जल को संचय करने की आदत नहीं है।एक साल की बारिश के संचय से पांच साल तक पानी की समस्या नहीं होती। राजेंद्र सिंह ने कहा कि गया की भूमि आम भूमि नहीं है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक भूमि है। राजेंद्र सिंह के साथ आए जगदीश चौधरी ने हरियाणा के जल स्रोतों पर अपनी बात रखी। नगर आयुक्त सावन कुमार ने नगर निगम की ओर से जल संचय को लेकर की गई कार्रवाई के बारे में विस्तृत जानकारी दी। चैंबर के अध्यक्ष डा. कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने गया की भीषण गर्मी और जल संकट से उत्पन्न समस्या पर अपनी बात रखने के साथ जल चर्चा की शुरुआत की। मंच संचालन कर रहे पूर्व अध्यक्ष डा अनूप केडिया ने गया की महत्ता की चर्चा करते हुए कहा कि गाय ऐतिहासिक और प्राचीन शहर में के रूप में जाना जाता है। प्राचीन गया तालाबों का शहर था।एक श्रेणी पौराणिक तालाबों की है और इसके अलावा पांच दर्जन तालाब थे। फ्लगु नदी के जल से सभी तालाब को पानी मिलता था।अब ऐसे सभी तालाबों का अस्तित्व नहीं है। समारोह में प्रमोद भदानी, संजय भारद्वाज,बाल कृष्ण भारद्वाज, डीके जैन, लालजी प्रसाद, राजेश प्रसाद, उषा डालमिया,शिवबचन सिंह,हरि केजरीवाल,प्रेम नारायण पटवा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। इसके पूर्व जलपुरुष राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में सीताकुंड से जल पदयात्रा निकाली गई। डीएम अभिषेक सिंह,नगर आयुक्त सावन कुमार,डा. कौशलेंद्र प्रताप, प्रेम नारायण पटवा के अलावा कई संस्थाओं के प्रतिनिधि जल पदयात्रा में शामिल हुए।जल पदयात्रा विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए लखनपुर गांव पहुंची।
This post has already been read 10120 times!