सीधे और मुलायम बालों का फैशन काफी समय से है। घुंघराले व वेवी बालों को हेअर स्ट्रेटनिंग तकनीक से सीधा किया जा सकता है। ये तकनीकें क्या हैं और किस तरह से ये बालों पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं, आइए जानें…
ड्रायर का प्रयोग: गीले बालों को विभिन्न भागों में बांट लेते हैं। हर भाग के सिरे को ब्रश पर लपेट कर ड्रायर किया जाता है। फिर हर भाग को सीधा पकड़ कर ड्रायर किया जाता है। अगले शैंपू तक बाल सीधे रहते हैं। लेकिन जरूरत से ज्यादा हीट देने से बालों में रूखापन आ जाता है और बाल दो मुंहे हो कर टूटते भी हैं।
केमिकल हेअर स्ट्रेटनर: इसमें हरेक बाल की शाफ्ट में रसायन प्रवेश करता है और बालों की अंदरूनी परतों की बनावट को प्रभावित करता है, जिससे कर्ली या वेवी बाल सीधे हो जाते हैं। इसमें थोड़े तेज रसायनों को सीधा बालों पर लगाया जाता है। इसका असर 6 महीने तक रहता है। स्ट्रेटनिंग हमेशा हेअर एक्सपर्ट से ही कराई जानी चाहिए। कभी भी बालों में कलर और स्ट्रेटनिंग एक साथ ना कराएं। इन दोनों के बीच में कम से कम 2-3 महीने के अंतर जरूर होना चाहिए।
क्रीम व न्यूट्रलाइजर: बालों को स्ट्रेट करने के लिए बेस क्रीम वैसलीन, न्यूट्रलाइजर, शैंपू व कंडीशनर का प्रयोग भी किया जाता है। इसमें बालों को स्ट्रेट करने से पहले स्कैल्प पर वैसलीन या बेस क्रीम लगाते हैं। वैसलीन को स्कैल्प के साथ माथे, गरदन व कानों पर भी लगाना चाहिए, जिससे ये गलती से रसायन लग जाने पर जलें नहीं। इसके बाद हेअर रिलेक्सिंग स्ट्रेटनिंग फॉर्मूला लगाया जाता है। यह बालों की मीडिल लेअर में पहुंच कर उन्हें मुलायम बनाता है और वेवी व घुंघराले बाल भी खुल जाते हैं। इस केमिकल फॉर्मूले को बालों में तकरीबन 7-8 मिनट के लिए लगाया जाता है। इससे ज्यादा समय के लिए लगाने से बालों को क्षति पहुंच सकती है।
फिर बालों को अच्छे से धोया जाता है, जिससे बालों से रसायन पूरी तरह निकल जाए। इसके बाद बालों में न्यूट्रलाइजर लगाया जाता है, जिससे बालों का सामान्य पीएच संतुलन बना रहे। फिर कंडीशनर लगाते हैं। कई बार पहले से क्षतिग्रस्त बालों में कंडीशनर पहले और बाद में दोनों बार लगाया जाता है। कंडीशनर से बालों में प्राकृतिक तेल बनने लगते हैं, जो इस प्रक्रिया के दौरान बह गए थे। अब मनचाहा हेअर स्टाइल को भी अगर मिला लिया जाए, तो कुल मिला कर इस पूरी प्रक्रिया में, जिसमें स्टें्रड टेस्ट से ले कर स्टाइलिंग तक का समय लिया जाए, तो 4-5 घंटे लग जाते हैं। शैंपू करने के बाद बालों को ब्लो ड्राई जरूर करें।
रीबॉडिंग: रीबॉडिंग घुंघराले बालों व कई बार रासायनिक उपचार दिए गए बालों पर इतना असरदार नहीं रहता है। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 4 से 8 घंटे का समय लगता है और इसका असर साल भर तक रहता है, उसके बाद नए बालों को रीटचिंग से सेट किया जा सकता है। रीबॉडिंग में बालों को पहले धोया जाता है। फिर प्रोटीन को बालों में लगाया जाता है, जिससे बाल पूरी तरह ढंक जाते हैं। इसके बाद बालों पर निर्धारित समय के लिए रासायनिक सॉल्यूशन लगाते हैं। फिर धोने के बाद बालों को इतना ही ब्लो ड्राई करते हैं, जिससे बाल हल्के गीले भी रहें। उसके बाद हेअर स्ट्रेटनिंग थर्मल आयरन का प्रयोग किया जाता है। जब सारे बाल स्ट्रेट हो जाते हैं, तो एक अन्य सॉल्यूशन बालों में लगाया जाता है, जो बालों को दोबारा बनाता है, जिसे रीबॉडिंग कहते हैं। फिर बालों को धो कर कंडीशन किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद बालों को कम से कम 2-3 दिन तक ना धोएं। अमूमन हेअर स्ट्रेट कराने की प्रक्रिया में 1, 500 से 5, 000 रुपए तक का खर्च आता है।
स्ट्रेटनिंग आयरन: हेअर स्ट्रेटनिंग आयरन से बालों में सीधी हीट दे कर उन्हें स्ट्रेट किया जाता है। सिरेमिक की रॉड्स भी इस्तेमाल में लाई जाती हैं। ये महंगी जरूर हैं, लेकिन बालों को कम नुकसान पहुंचाती हैं। सावधान रहें कि सिरेमिक आयरन रॉड नकली भी मिलती हैं।
देखभाल करें: बार-बार स्ट्रेटनिंग न कराएं। सौम्य शैंपू व एक्सट्रा रिच कंडीशनर प्रयोग में लाएं। हफ्ते में एक बार बालों को हॉट ऑइल थेरैपी दें। बाल सुलझाने के लिए चैड़े दांतोंवाला ब्रश इस्तेमाल में लाएं। बाल दो मुंहे होते ही कटवा दें। आंवला, बेल, ब्राह्मी, हिना, मिंट, मारगोसा, त्रिफलायुक्त आयुर्वेदिक पाउडर प्रयोग में लाएं। यह स्कैल्प को साफ करके बालों को कंडीशन करता है, जिससे बाल मजबूत होते हैं।
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