नई दिल्ली । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुलिस सुधार पर जोर देते हुए कहा है कि आपराधिक मामलों की तेजी से और वैज्ञानिक तरीकों से जांच की जरूरत है और इसके लिए पेशेवर पुलिसकर्मी तैयार करने के लिए देश में पुलिस विश्वविद्यालय और अपराध अनुसंधान विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाएगी।
उन्होंने कहा कि किसी केस में दोषियों को त्वरित सजा दिलाने के लिए फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे गुनहगारों को जल्द सजा दिलाने में हमें सफलता मिलेगी। इसके साथ ही क्रिमिनल और क्रिमिनल माइंडेड लोगों से पुलिस चार कदम आगे रहनी चाहिए।
बुधवार को यहां शाह ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) के 49वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस विश्वविद्यालयों की राष्ट्रीय स्थर पर स्थापना की जाएगी और इनसे जुड़े कालेज हर राज्य में होंगे। उन्होंने कहा कि बीपीआरडी ने इससे संबंधित मसौदा तैयार कर लिया है और इसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
शाह ने कहा कि कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था जब 50 साल तक निरंतर चलती है तो समझना चाहिए कि काम अच्छा हो रहा है। बीपीआरडी ने 50 साल निरंतर चलते हुए अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखा है।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी में देश को शामिल करना चाहते हैं। इसके लिए देश की सुरक्षा बहुत आवश्यक है। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन में पुलिस की स्थापना उनके राज को कायम रखने के लिए हुई थी। आजादी के बाद सरकार पटेल ने इसे एक अलग रूप दिया। उन्होंने पहली बार पुलिस की स्थापना लोगों के अधिकारों की रक्षा, लोगों की सेवा और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए की।
गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस सुधार एक बहुत लंबी और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। चुनौतियां जैसे बदलेंगी, उसी के अनुसार हमें इसे आगे बढ़ाना पड़ेगा। मगर पुलिसिंग में सुधार एक बहुत बड़ा कांसेप्ट है, जिसे बीपीआरडी को नए सिरे से डिज़ाइन करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सीआरपीसी और आईपीसी के अंदर जरूरी परिवर्तन के लिए देशभर में एक कंसल्टिंग प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है। सभी का सुझाव लेकर उसे गृह मंत्रालय में भेजा जाए, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
शाह ने कहा कि अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है। इंवेस्टिगेशन के लिए हमें साइंटिफिक तरीकों को अपनाना होगा। फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की दिशा में भी बीपीईआरडी को त्वरित गति से कार्य करने की आवश्यकता है। क्योंकि आज विभिन्न केसों में सजा कराने का हमारा अनुपात बहुत दयनीय है। यह तभी सुधर सकता है, जब जांच को फोरेंसिक साइंस की समय पर सहायता मिले।
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