इंदिरा गांधी कला केंद्र की पहचान भरत मुनि के नाम पर हो : राम बहादुर राय

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) का नाम बदलकर ‘नाट्य शास्त्र’ के प्रणेता भरत मुनि के नाम पर रखने का सुझाव देते हुए इस प्रतिष्ठित संस्थान के अध्यक्ष पद्मश्री रामबहादुर राय ने कहा कि आईजीएनसीए परिसर में गुरु और गोविंद का अभाव था। भरत मुनि की मूर्ति स्थापित होने से अब वह पूरा हो गया।

राज्य सभा सदस्य और शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह और आईजीएनसीए अध्यक्ष एवं हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक पद्मश्री रामबहादुर राय ने आईजीएनसीए परिसर में मंगलवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भरत मुनि की प्रतिमा का अनावरण किया। 

काले रंग की इस मूर्ति को शास्त्रीय नृत्यांगना डॉ. पद्मा सुब्रह्मण्यम द्वारा परिकल्पित और बेंगलुरु के मूर्तिकारों टीएन रथना और एस वेंकटरमण द्वारा तैयार किया गया है। कार्यक्रम में जैमनीय ब्राह्मण, द सीलिंग ऑफ इंडियन टेंपल, देश कबीर का, संजारी-एक भारत श्रेष्ठ भारत सहित सात पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।

पद्मश्री रामबहादुर राय ने इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान के निमित्त प्रतिमा का अनावरण हुआ है। उन्होंने सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कलाकारों को समाज में चल रही बहस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत बताई।  

सामान्य जन के लिए मोटी-मोटी पुस्तकों के अध्ययन को एक चुनौती करार देते हुए उन्होंने कहा कि मोटे ग्रंथों का अपना महत्व है लेकिन ये केवल विद्वानों के लिए हैं। इसलिए इन ग्रंथों से छोटी-छोटी पुस्तकों को प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि विचारों की क्रांति सामान्य जन तक पहुंच सके। 

सोनल मानसिंह ने कहा कि संसद परिसर में महात्मा गांधी सहित अनेक राजनेताओं की प्रतिमाएं हैं लेकिन वहां संस्कृति और सभ्यता का नामों-निशान नहीं है। समग्रता में संस्कृति की बात कहीं नहीं हो रही है जबकि संस्कृति हमारे देश का प्राण है। उन्होंने दिल्ली के रवींद्र भवन में भी भरत मुनि की प्रतिमा स्थापित करने की मांग उठाई।

उन्होंने कश्मीरी संस्कृत-विद्वान् तथा कश्मीर शैवदर्शन के आचार्य अभिनव गुप्त का उल्लेख करते हुए कहा कि कश्मीर में अभिनव गुप्त पढ़ाए जाएंगे, वह दिन भी जल्द आएगा।

आईजीएनसीए के न्यासी भरत गुप्त ने कहा कि नाट्यशास्त्र भारत को एक राष्ट्र के रूप में चित्रित करने वाला एकमात्र प्राचीन ग्रंथ है। उन्होंने नाट्यशास्त्र के अध्ययन का आह्वान करते हुए कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी यहां भरतमुनि के नाम पर भरत मंडप नहीं है। उन्होंने कहा कि आईजीएनसीए में भरत मुनि की प्रतिमा के अनावरण के साथ ही अब हमने नाट्य मंडप की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है।

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