नई दिल्ली। बिजली और रसोई गैस कनेक्शन धारकों को राशन कार्ड से केरोसिन की आपूर्ति न किए जाने के, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रस्ताव का राज्यसभा में विरोध करते हुए सोमवार को एक सदस्य ने कहा कि तटीय हिस्सों में केरोसिन का इस्तेमाल अपनी नौकाएं चलाने के लिए करने वाले मछुआरों पर इस कदम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उच्च सदन में केरल कांग्रेस (एम) के सदस्य जोस के मणि ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा ‘‘प्रस्ताव है कि उन राशन कार्ड धारकों को सब्सिडियुक्त केरोसिन की आपूर्ति नहीं की जाएगी जिनके पास बिजली और रसोई गैस के कनेक्शन हैं। इस कदम से केरल के करीब 85 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित होंगे। खास तौर पर केरोसिन का इस्तेमाल अपनी नौकाएं चलाने के लिए करने वाले मछुआरों पर इस कदम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि केरल में 85 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों के पास बिजली के कनेक्शन हैं। राज्य में केवल 60,128 परिवार ही ऐसे हैं जिनके पास बिजली या रसोई गैस के कनेक्शन नहीं हैं। वर्तमान में बिजली कनेक्शन से वंचित राशन कार्ड धारकों को चार लीटर केरोसिन सब्सिडीयुक्त दरों पर दिया जाता है। मणि ने कहा कि केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का यह प्रस्ताव इस धारणा पर आधारित है कि सब्सिडीयुक्त केरोसिन का उपयोग केवल खाना पकाने और रोशनी के लिए किया जाता है। लेकिन मछुआरे इसका उपयोग अपनी नौकाएं चलाने के लिए करते हैं और उन पर सरकार के इस कदम का बहुत ही बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा ‘‘मंत्रालय के इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।’’ विभिन्न दलों के सदस्यों ने मणि के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।
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