एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का जल्द सुनवाई से इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक की मांग करनेवाली याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। आज वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की।अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब कोई वोटर दो सीटों पर वोट नहीं डाल सकता है तो कोई व्यक्ति दो सीटों पर चुनाव कैसे लड़ सकता है।पिछले 27 मार्च को कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस याचिका पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेंगे।इस मामले में केंद्र सरकार ने नेताओं को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक की मांग का विरोध किया है जबकि निर्वाचन आयोग ने इस मांग का समर्थन किया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि ऐसा प्रावधान राजनीति के साथ-साथ उम्मीदवार के लिए व्यापक विकल्प प्रदान करता है और देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप है। चार अप्रैल को निर्वाचन आयोग ने हलफनामा दायर कर नेताओं को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक का चुनाव आयोग ने समर्थन किया है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 70 केवल एक सीट जीतने के बाद एक निर्वाचन क्षेत्र छोड़ने के लिए पालन की जाने वाली प्रक्रिया को बताती है। केंद्र ने कहा है कि चुनावी सुधार के सवाल के लिए सभी राजनीतिक दलों, न्यायविदों और जनता के सदस्यों से परामर्श की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार के उलट निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि दो जगह से चुनाव लड़ना फिर एक सीट छोड़ देना मतदाताओं के साथ अन्याय है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। अपने हलफनामे में आयोग ने सुझाव दिया है कि सीट छोड़ने वाले से दोबारा चुनाव का खर्च वसूला जाना चाहिए। आयोग ने कहा है कि इसके लिए कानून में बदलाव होना चाहिए।
याचिका में कहा गया कि जब एक उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है और अगर वह दोनों ही सीटों पर विजयी होता है तो यह अनिवार्य है कि उसे दो में से एक सीट छोड़नी पड़ती है। इससे न सिर्फ सरकारी खजाने पर बल्कि खाली हुई सीट पर चुनाव कराने से सरकारी तंत्र और अन्य संसाधनों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। इसके साथ ही यह उस विधानसभा के मतदाताओं के साथ नाइंसाफी भी है, जहां से उम्मीदवार हट रहा है।
याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) में संशोधन की मांग की थी ताकि एक व्यक्ति एक ही पद के लिए एक से ज्यादा सीट पर चुनाव नहीं लड़ सके।
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