प्राचीन काल में एक सुदूर क्षेत्र में एक सोते के निकट कुछ हाथी बहुत सुखी जीवन व्यतीत करते थे। एक साल वहां वर्षा न हुयी और सोते के पानी दिन प्रतिदिन कम होता गया यहां तक कि सोता सूख गया। हाथी सोच में पड़ गए। हाथियों के सरदार के आदेश पर कुछ हाथी दूसरे क्षेत्रों में पानी ढूंढने के लिए निकल पड़े। उन्हें पानी का एक सोता मिल गया और सब के सब हाथी वहां चले गए। इस सोते का पानी ठंडा और स्वच्छ था और इसके आस पास कुछ ख़रगोश भी रहते थे। प्यासे हाथी ख़रगोशों की ओर ध्यान दिए बिना पानी देखते ही सोते की ओर दौड़े और इस दौरान ख़रगोश के कई बच्चे हाथी के पैरों तले कुचल कर मर गए। ख़रगोश भाग गए। हाथी हर दिन पानी पीने के लिए उस सोते पर जाते थे। ख़रगोश, हाथियों के आने से बहुत क्रोधित थे क्योंकि अब उनके लिए सोते पर जाकर पानी पीना उतना आसान काम नहीं था। जब भी सोते की ओर जाते तो उसके आस-पास कई हाथी दिखाई देते थे। ख़रगोश सोते की ओर जाते हुए डरते थे। इसके अलावा हाथी सोते को नियमित रूप से गंदा करते थे। ख़रगोशों ने इसका हल ढूंढने के लिए एक बैठक की। एक बूढ़े ख़रगोश ने जो बहुत बुद्धिमान था कहा, मैंने हल ढूंढ लिया है। शीघ्र ही ऐसा काम करुंगा कि हाथी फिर सोते के पास दिखाई नहीं देंगे। अन्य ख़रगोशों ने आश्चर्य से पूछाः कैसे? तुम जैसा कमज़ोर ख़रगोश क्या कर सकता है? क्या तुम उन शक्तिशाली हाथियों से लड़ कर उन्हें सोते से दूर कर सकते हो? बूढ़े ख़रगोश ने कहा, मैंने एक युक्ति सोची है। शीघ्र ही तुम लोगों को इस बारे में बताउंगा। मैं आज रात पहाड़ पर जाउंगा और हाथियों से बात करुंगा। आशा करता हूं कि मेरी युक्ति सफल रहेगी और हाथी मेरी बात को सच मान जाएंगे और यहां से चले जाएंगे। उस रात चौदहवीं की रात थी और पूरा चांद आकाश में चमक रहा था। बुद्धिमान ख़रगोश पहाड़ के ऊपर गया और उसने ज़ोर से पुकारा। हाथियों ने ख़रगोश की पुकार सुनते की उसकी बात सुनने के लिए कान लगाया। ख़रगोश ने चिल्ला कर कहा, हे हाथियों जान लो कि मुझे चांद ने भेजा है और उसकी ओर से तुम्हें संदेश पहुंचा रहा हूं। चांद कह रहा है कि तुम सब उस सोते के पास आए हो जिसका वह स्वामी है। तुम सबके सोते के किनारे रहने से कुछ दिनों के भीतर पानी सूख जाएगा। चांद चाहता है कि तुम यथा शीघ्र इस स्थान को छोड़ दो। वह तुम पर क्रोधित है। हाथियों के सरदार ने कहा, क्या कहा चांद क्रोधित है? क्या ऐसा हो सकता है? मुझे विश्वास नहीं आता। ख़रगोश ने कहा, यदि विश्वास नहीं है तो हमारे साथ आओ और स्वंय उसके क्रोध को देखो। हाथी में जिज्ञासा बढ़ी और वह ख़रगोश के साथ चल पड़ा। वह चांद के क्रोध को देखना चाहता था। सोते के निकट पहुंचा। चांद का प्रतिबिंबन पानी में दिखाई दे रहा था। ख़रगोश ने हाथी से कहा, यदि साहस है तो अपने सूंढ को पानी में डालो तब पता चलेगा कि चांद कितना क्रोधित है। हाथी सोते के निकट हुआ और उसने अपना सूंढ पानी में डाला। जैसे ही हाथी ने सूंढ पानी में डाला तो पानी में मौज उत्पन्न हो गयी और उसमें चांद का चित्र हिलने लगा। हाथी को लगा कि चांद क्रोधित है और क्रोध के कारण वह हिल रहा है। उसने ख़रगोश से कहा, तुम सच कह रहे हो। बेहतर होगा बिना देर किए यहां से चले जाएं। आशा है इससे बेहतर कोई जगह मिल जाएगी। मैं जा रहा हूं और हाथियों से आज ही रात यहां से चले जाने के लिए कहुंगा। हाथी बेचारा यह नहीं समझ पाया कि उसके सूंढ ने पानी पर लहरें पैदा की जिसके कारण चांद हिलता हुआ दिखाई दिया। वह नहीं समझ सका कि उसने पानी में पैर डाल कर उसे मटमैला कर दिया है इसीकारण पानी में चांद का चित्र धुंधला दिखाई दे रहा है। हाथी अपने साथियों के पास लौट और उसने कहा, मित्रो! ख़रगोश की बात सही थी। बेहतर होगा आज की रात यहां से चले चलें और कोई दूसरा सोता ढूंढें।
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