नई दिल्ली। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के उपवास के 97वें दिन देश भर के विभिन्न संगठनों द्वारा समर्थित एक प्रतीकात्मक धरना और क्रमिक उपवास मंगलवार को जंतर-मंतर पर शुरू किया गया। गंगा की अविरलता के लिए स्वामी सानंद के 111 दिन के उपवास के बाद हुए निधन के बाद पिछले साल 24 अक्टूबर से 26 वर्षीय युवा संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद उपवास पर हैं। आत्मबोधानंद केरल में कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे हैं। आत्मबोधानंद मातृ सदन नामक संस्था से जुड़े हैं। इसी संस्था के बैनर तले डॉ विजय वर्मा के नेतृत्व में धरने व क्रमिक अनशन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और आंदोलन से जुड़ी शारदा ने कहा कि हमारे लिए इस समय प्रमुख मुद्दा तो गंगा जी हैं, जिनकी स्थिति आज भी अत्यंत दयनीय है। हम आने वाली पीढ़ी को क्या ऐसी गंगा सौंप कर जाना चाहते हैं, जबकि हमको गंगा अविरल और निर्मल मिली थी। डॉ0 विजय वर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं सरकार संतों से बात करें। आखिर यह कब तक नदी व पर्यावरण संरक्षण के लिए संत अपना जीवन त्यागते रहेंगे? धरने की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी व उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक हस्ताक्षरित पत्र भेजा गया, जिसमें सरकार से मांग की गई कि वे उपवास पर बैठे आत्मबोधानंद जी से बात करें। डॉ विजय वर्मा ने बताया कि इस तरह के प्रतीकात्मक धरने केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल और देश के अन्य राज्यों में भी दिये जा रहे हैं।
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