राज्य सरकार से हमें मंत्री पद के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला : दीपंकर भट्टाचार्य

रांची। भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड सरकार से हमें मंत्री पद के लिए कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि सदन में हमारे पास सिर्फ दो विधायक हैं। इसलिए हम सरकार में शामिल करने के लिए राज्य सरकार पर कोई दबाव नहीं बनाएंगे, बल्कि हर कदम पर सरकार का साथ देंगे।
भट्टाचार्य शनिवार को मेन रोड स्थित पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि समन्वय समिति बने और इंडिया ब्लॉक द्वारा लोगों को दी गई सात गारंटी को पूरा करने के लिए हम मिलकर काम करें। यदि हमें ज्यादा सीटें दी जातीं, तो नतीजे और बेहतर होते। साथ ही कहा कि झारखंड का जनादेश पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। इससे लोगों का लोकतंत्र में विश्वास फिर से जगा है।
भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव के दौरान मैंने ऐसा जहरीला माहौल कभी नहीं देखा था लेकिन झारखंड की जनता ने एकजुट होकर ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र को भी झारखंड के जनादेश का सम्मान करना चाहिए और राज्य को अस्थिर करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। राज्य को उसका हक देना चाहिए। जहां तक ​​हमारी पार्टी का सवाल है, हम एक बार फिर धनबाद में दो सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं लेकिन हमें दुख है कि हम बगोदर हार गए। फिर भी सदन में हमारे दो विधायक होंगे। ये विधायक सदन के अंदर और बाहर झारखंड की जनता के मुद्दों को उठाते रहेंगे।
भट्टाचार्य ने कहा कि हम भाजपा की विचारधारा को हराने के लिए प्राथमिकता पर काम करेंगे। हम राज्य में पार्टी के संगठन का विस्तार करेंगे। 2025 में महेंद्र सिंह की 20वीं वर्षगांठ होगी और झारखंड का 25 साल का हो जाएगा और हम राज्य में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर से 26 जनवरी तक हम संविधान के आदर्शों को पूरे देश में लेकर जाएंगे, जिसके तहत हम विभिन्न मार्च का आयोजन करेंगे।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या पर फैसला अपवाद है और भविष्य में ऐसे मामले नहीं आएंगे। इसके बावजूद निचली अदालतों से सर्वे के आदेश आ रहे हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कल संभल में एक केंद्रीय टीम आएगी और अजमेर में भी ऐसी ही चीजें देखने को मिल रही हैं। ऐसा लगता है कि देश में इस संबंध में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया है और देश को पीछे ले जाने की कोशिश की जा रही है। हम लोगों से आग्रह करेंगे कि वे ऐसे झांसे में न आएं।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा झारखंड में अडानी राज थोपना चाहती थी और इसके लिए हरसंभव कुप्रथा अपनाई। अमेरिका में अडानी पर कार्रवाई की जा रही है लेकिन भारत में उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है और इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ेगा। क्योंकि, बिजली के दाम बढ़ गए हैं जबकि अडानी समूह के शेयर गिरने से सबसे ज्यादा नुकसान छोटे निवेशकों को होता है।

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