नई दिल्ली। महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखंड विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही अप्रैल – मई 2019 में कराये जाने संभावना के मद्देनजर कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को अपने सूत्रों से सूचना मिली है कि इन तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं। इसके लिए इन राज्यों में फरवरी के तीसरे सप्ताह में विधानसभा भंग की जा सकती है। इसके 6 माह के भीतर चुनाव कराना पड़ेगा। लेकिन जून-जुलाई-अगस्त में मानसून होने के कारण चुनाव कराने में दिक्कत होगी। इसलिए उसके पहले अप्रैल-मई में ही इन राज्यों में भी चुनाव कराना पड़ेगा। इसके बारे में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनको सूचना है कि उन राज्यों की सरकारों ने इसकी तैयारी कर ली है। वे फरवरी 2019 के तीसरे सप्ताह में इसके लिए विधानसभा भंग करके, राज्यपाल की मंजूरी के बाद चुनाव आयोग से लोकसभा के साथ ही चुनाव कराने की अर्जी लगा सकते हैं। यह लगभग तय हो गया है। यह तभी टलने की संभावना है जब कोई बड़ा कारण या व्यवधान आ जाए। इसलिए कांग्रेस ने भी इन राज्यों में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव की भी तैयारी शुरू कर दी है। सहयोगी दलों के साथ सीटों की बातचीत चल रही है। जल्दी ही आपसी सहमति से निर्णय कर लिया जाएगा। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने तो इसके लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। इसके चलते इन राज्यों के भाजपा संगठन व तंत्र पूरी तरह से तैयार खड़ा है। हरियाणा के फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र के एनआईटी विधानसभा मंडल भाजपा अध्यक्ष कविन्द्र चौधरी का कहना है कि राज्य में विधानसभा चुनाव कराने का यह अच्छा मौका है। भाजपा इस चुनावी युद्ध के लिए तैयार बैठी है। हाल ही में हुए जींद विधानसभा सीट पर भारी बहुमत से जीत से पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल और बढ़ गया है। इसके पहले पानीपत, करनाल, यमुना नगर, रोहतक, हिसार, नगर निगमों में हुए मेयर पद के सीधी लड़ाई में भाजपा के प्रत्याशी 70 से 80 हजार मतों से जीते हैं। इन पांच नगर निगमों के बाद जींद विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत के कारण भाजपा कार्यकर्ता उत्साह से भरे हुए हैं। मनोबल बहुत ऊंचा है। भाजपा के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता तैयार हैं। इसका लाभ लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव हुआ तो पार्टी को होगा। उधर राज्य की विपक्षी दलों की हालत यह है कि कांग्रेस का अभी संगठन ही तैयार नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष कई वर्ष से अपने अध्यक्ष अशोक तंवर को बदलने की ही सोच रहे हैं। उनके नये जिला अध्यक्ष भी नहीं चुने गए। जेल में बंद ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की हालत यह है कि इसमें दो फाड़ हो गया है। ओम प्रकाश चौटाला के दो लड़के हैं। बड़ा लड़का अजय चौटाला तथा छोटा लड़का अभय चौटाला। अजय चौटाला के लड़के दुष्यंत चौटाला हैं, जो हिसार से सांसद हैं। उन्होंने अपने दादा ओम प्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला से बगावत करके अलग पार्टी जननायक जनता पार्टी (जजपा) बना ली है। ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला शिक्षक घोटाला मामाले में कई वर्ष से जेल में बंद हैं। ग्रामीण इलाके वाली जाट बहुल विधानसभा सीट जींद में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने कैथल विधानसभा से विधायक और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (जाट) को प्रत्याशी बनाया था। इनेलो व जजपा ने भी अपने प्रत्याशी खड़ा किये थे। लेकिन सुरजेवाला 22 हजार 740 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इनकी जमानत जब्त होते-होते बची है। दूसरे स्थान पर जजपा रही। कविन्द्र चौधरी का कहना है कि इस तरह बिखर गई इनेलो और असंगठित कांग्रेस व उसके नेताओं की आपसी कलह के कारण भी संगठित व मजबूत भाजपा को भारी बहुमत से राज्य में लोकसभा व विधानसभा सीटें जीतने का अच्छा मौका है। केन्द्र की मोदी सरकार ने बजट में किसानों व आम आदमी के फायदे वाला बहुत कुछ ऐलान किया है, इसका भी चुनाव में फायदा होगा। लगभग इसी तरह की बात महाराष्ट्र व झारखंड के भी भाजपा नेता कह रहे हैं। कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दलों का इन राज्यों में समय से पहले चुनाव होने की संभावना के बारे में कहना है कि उन्हें भी इसकी भनक मिली है। सो, तैयारी शुरू कर दिये हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि भाजपा वाले अपना राज बनाये रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। हमको भी लगने लगा था कि ये सब ऐसा कर सकते हैं| राज्य में पहले चुनाव करा सकते हैं। हम लोकसभा चुनाव की तैयारी कर ही रहे हैं| उसी के साथ विधानसभा की भी तैयारी करने लगे हैं। जगह-जगह पदयात्रा, बैठकें बढ़ा दिये हैं। सहयोगी दलों से सीटों की बातचीत भी चल रही है। लड़ना है तो लड़ना है। डरना क्या है? आदिवासी हमेशा से अपने जीने के लिए जूझता ही रहा है। हम भी पूरी क्षमता, ताकत से लड़ेंगे। इस बारे में महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार तानाजी कोलते का कहना है कि जिस तरह छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश ,राजस्थान विधानसभा चुनाव के साथ, समय से पहले तेलंगाना में विधानसभा भंग करके चुनाव कराया गया, उसी तरह से लोकसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखंड विधानसभा के भी चुनाव हो सकते हैं। चुनाव आयोग उसी तरह से इन राज्यों का भी चुनाव कराएगा जिस तरह से तेलंगाना का चुनाव कराया था। सबको पता है कि यदि केन्द्र व इन तीन राज्यों की भाजपा सरकारें इसके लिए चुनाव आयोग से आग्रह करेंगी, तो वह ( चुनाव आयोग) मना नहीं कर पाएगा। सारे संसाधन का इंतजाम हो जाएगा। यह टी.एन.शेषन वाला समय नहीं है। इस बारे में जजपा नेता दुष्यंत चौटाला का कहना है कि राज्य में विधानसभा चुनाव चाहे अप्रैल-मई में लोकसभा के साथ हो या अक्टूबर-नवंबर में, हम तैयार हैं।
This post has already been read 9191 times!