रामगढ़। रामगढ़ जिले के देवरिया गांव निवासी सुरेश मधुमक्खी पालन कर अपना जीवन संवार रहे हैं। हालांकि उनके इस प्रयास में सरकारी सहायता शामिल नहीं है। मधुमक्खी पालन को लेकर उनकी लगन और जुनून ने उनकी जिन्दगी को नई दिशा दे दी है। पतरातू प्रखंड के देवरिया गांव का युवक सुरेश यादव 6 साल से मधुमक्खी पालन कर रहा है। वह अच्छी आमदनी कर अपने और परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। सुरेश आसपास के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। वे अपने स्तर से इसे गांव-गांव तक फैलाने के लिए स्वयं कैंप लगाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। जिससे लोगों को रोजगार और अच्छी आमदनी का अवसर मिल सके। सुरेश यादव ने कहा मधुमक्खी पालन का आधुनिक वैज्ञानिक तरीका पश्चिम की देन है। सुरेश मधुमक्खियों की 20,000 प्रजातियां की जानकारी हासिल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जंगली मधुमक्खियों की 20,000 से अधिक प्रजातियां हैं। कई प्रजातियां एकान्त होती हैं। उदाहरण के लिए मेसन मधुमक्खियों, पत्तेदार मधुमक्खी (मेगाचिइलिडे), बढ़ईदार मधुमक्खियां और अन्य भू-घोंसले की मधुमक्खियां शामिल हैं। छोटी मधु (एपिस फ्लोरिया), विशाल मधु (एपिस डोरसाटा) और रॉक बी (एपीआईएस लाइबोरिया) जैसी प्रजातियों वाली मधुमक्खियों से हम शहद का उत्पादन करते आ रहे हैं। सुरेश यादव ने बताया कि मधुमक्खी के कई प्रकार होते हैं। उन्होंने मधुमक्खी की रानी मादा और नर मधुमक्खी के बारे में बहुत सारी जानकारियां दीं। इनकी जानकारियों से आसपास के लोगों को काफी मदद मिलेगी और रोजगार मिलने की उम्मीद भी है। मधुमक्खी पालन में पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ोतरी हुई है। अन्य क्षेत्रों में भी लोग बढ़-चढ़कर मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और सरकार इसे काफी बढ़ावा दे रही है। मधुमक्खी पालन के लिए खादी ग्रामोद्योग काफी मदद कर रहा है लेकिन सुरेश को अभीतक ये मदद नहीं मिली है। उन्होंने उम्मीद है कि सरकार अगर युवाओं को इसमें आर्थिक मदद करे तो यह अच्छी आमदनी देने वाला क्षेत्र साबित हो सकता है।
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