योगेश कुमार सोनी
आज के युग मे जिंदगी का पर्यायवाची बन चुका फेसबुक अश्लीलता का भी दूसरा रूप बन गया है। थोड़े थोडे समय पर फेसबुक में बदलाव होता रहता है व नई चीजें जुड़ती रहती हैं। कुछ महीनों पहले से फेसबुक के ऊपर वाले हिस्से पर विंडो बनी होती है, जिस पर वीडियों का भी नया ऑप्शन जुड़ा है। इसमें फेसबुक खुद से वीडियो अपलोड करता है। उसका नोटिफिकेशन भी आता है। इसमें कपिल शर्मा के शो की छोटी क्लिपिंग व अन्य कई तरह की क्लिपिंग के साथ अश्लील तरह की वीडियो भी आने लगी है। इन वीडियो को आप जब तक नही देख लेते, नोटिफिकेशन नहीं हटता। हम इस घटना को लेकर दो तरह से आकलन करते हैं। पहला तो इस ऑप्शन के आने के बाद लोगों का समय बेकार होने लगा, दूसरा इससे अश्लीलता बढ़ रही है। इसका कुप्रभाव बच्चों पर ज्यादा पड़ता है। फेसबुक के एडवांटेज के साथ अब डिसएडवांटेज ज्यादा दिखने लगे। पिछले दिनों मार्क जुकर बर्ग ने झूठी व हिंसक खबरें या घटनाएं अपलोड न हो, इसके लिए ऐसा ऑप्शन इजाद किया था, जिससे समाज में नफरत फैलानों वालों को झटका लगा था। वहीं दूसरी ओर वीडियो ऑप्शन लाकर बेहद गलत काम हो गया है। दरअसल आज स्कूल में जाने वालों तक के बच्चों के फेसबुक अकाउंट बने हुए हैं। हांलाकि फेसबुक में 18 साल के कम उम्र के बच्चे का अकाउंट नही बन सकता लेकिन बच्चे गलत जन्म तिथि डालकर अकाउंट बना लेते हैं। ऐसे अकाउंट की संख्या सही वालों से भी ज्यादा मिलेगी। यदि आपके घर में दस साल का भी बच्चा है तो उसने भी अपना अकाउंट बना रखा होता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने फेसबुक को अपनी जिंदगी का हिस्सा मान लिया। हमारा मानना है कि फेसबुक में ऐसा कोई तरीका होना चाहिए, जिससे झूठी जन्मतिथि नहीं डाली जा सके। जो बच्चे फेसबुक के इस नियम को तोड़ें तो फेसबुक उनका अकाउंट बनाने से रोक दे। इसके लिए बेहतर उपाय यह है कि फेसबुक आई बनाते वक्त आधार कार्ड या कोई भी अन्य ऐसा दस्तावेज लगे, जिससे यह तय हो जाए कि फेसबुक अकाउंट बनाने वाला वयस्क हो चुका है। फिर एक आईडी से एक ही अकाउंट बने। ये कहना व करना इसलिए सरल है क्योंकि विगत दिनों फेसबुक पर फर्जी व हिंसा फैलाने वाली पोस्ट पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर ने रोक लगाई थी, जो कामयाब हुआ है। अब देखा जा रहा है लोग बिना फेसबुक व व्हाट्स एप नहीं रहते। दुनिया बदली तो लोगों की सोच बदली। बेहद छोटी उम्र में बच्चों के पास पर्सनल मोबाइल रहने लगा। माता पिता तो यह सोचते हैं कि बच्चे स्कूल का होमवर्क कर रहे हैं। अब लगभग हर स्कूल के होमवर्क स्कूलों की वेबसाइटों पर आने लगे। इसलिए माता-पिता बच्चों को ज्यादा रोकते टोकते नहीं। हकीकत तो यह है कि ज्यादातर बच्चे उसकी आड़ में फेसबुक, व्हाट्स एप या अन्य एपों पर लगे रहते हैं। स्वभाविक बात है कि जब बच्चे गलत वीडियों देखते हैं तो निश्चित तौर पर उनका मन भी विचलित होगा। वे उस वीडियो का अनुुकरण भी कर सकते हैं। अधिकतर देखा जाता है कि यह सब देखने के बाद बच्चे अपने माता पिता या घर के अन्य सदस्य से न पूछकर बाहर वालों से पूछते हैं। इस कारण उनके साथ गलत भी होने लगा। जो बच्चे अपने माता पिता से पूछ लेते हैं, तो वो उन्हें डांटकर या किसी और तरीके से समझा लेते हैं। आजकल के बच्चे मना करने वाली चीज के ज्यादा करीब जाते हैं। कम उम्र में गलत आदतें बच्चों को जीवन की अच्छी धारणाओं से भटका देती हैं। जब तक माता पिता को पता चलता है, तब तक उस बच्चे व उसके परिवार की जिंदगी खराब हो चुकी होती है। ऐसे तमाम उदाहरण रोजाना देखने को मिल रहे हैं। आज की दुनिया में वहशी लोग छ महीने की बच्चियों के साथ घिनौनी हरकत करने से भी नहीं कतराते। आज के हाईटेक चोर भी अब लोगों के घर जाने से पहले उनकी पूरी दिनचर्या व जीवनशैली जान लेते हैं। इसके सजीव उदाहरण महानगरों में देखने को मिल रहे हैं। जैसा कि आजकल हर कोई अपने जीवन से जुड़ी हर घटना फेसबुक पर डालता है। आजकल के तकनीकी चोरों को यह पता चल जाता है कि वह परिवार छुट्टियां मनाने बाहर गया है, वो तभी उनके यहां चोरी करते हैं। इसके अलावा भी आपने देखा होगा कि फेसबुक पर कुछ ऐसी चीजें आती हैं, जिनमें यह होता है कि ‘आप की शक्ल किस हीरो से मिलती है या आप पर किस भगवान की सबसे ज्यादा कृपा है।’ इससे आपका सारा डेटा हैकर्स व चोरों के पास चला जाता है। रोजाना चीजें हाईटैक हो रही हैं,तकनीकें भी बदल रही हैं तो चोरों ने भी अपना तरीका बदला व अब हाईटैक तरीके से चोरी करने लगे। लोगों के अकाउंट से पैसे निकल जाते हैं, लोगों को पता ही नही चलता। इस तरह से पैसे निकलने में न तो पुलिस प्रशासन आपकी कोई सहायता करता है ओर न ही बैंक। इसलिए यहां भी सचेत रहने की जरूरत है। इस तरह के अपराध में अश्लील वीडियो डालना ताजा मामले हैं। हम प्रयास करें कि यह बात फेसबुक संचालकों तक पहुचे। तब तक आप बच्चों पर व उनके मोबाइल प्रयोग करने पर ध्यान रखें व सचेत रहें। हम लोगों के पास अपनी व्यस्तता का तर्क होता है लेकिन बच्चों को पालने का अर्थ सिर्फ उसको अच्छे स्कूलों मे दाखिला करवाकर व सभी सुविधाएं देना ही पर्याप्त नही हैं। उनकी सभी चीजों पर ध्यान रखना होगा व यहां माता व पिता दोनों को ही अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।
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