जैन समुदाय ने पर्युषण पर्व के आठवें दिन मनाया संवत्सरी दिवस

रांची। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ संघ का बुधवार को आठवें दिन श्री दिगम्बर जैन भवन में उपासिका संतोष श्रीमाल और सीमा डूंगरवाल की ओर से धर्म आराधना शुरू किया गया। आठवें दिन संवत्सरी दिवस की आराधना करते हुए उपासिकाओं ने भगवान महावीर के साधना काल, उपदेश और सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला।
मौके पर संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि संवत्सरी पर्व लोकोत्तर पर्व है यह शाश्वत और त्रैकालिक पर्व है। इसे पर्वाधिराज भी कहते हैं। इसका संबंध न किसी तीर्थंकर के जन्म या निर्वाण से है और न किसी घटना विशेष से है। इसका संबंध मानव संस्कृति से है। उन्होंनने कहा कि इसका घोष है त्याग जिसका स्वर स्वभाव में रमण है। उपवास, जप, तप, सामायिक, पौषध सहित धार्मिक क्रियाओं से इस दिन की आरधना की जाती है। आज के दिन व्याख्यान में श्रमण भगवान महावीर को प्रेरक जीवन प्रसंग, प्रभावक आचार्यों के ज्वलंत इतिहास की झलकियों का दिग-दर्शन कराया जाता है।
भगवान महावीर के पूर्व के 26 भवों का परिचय कराया गया उनका 27 वां भव में महावीर के रूप में जन्म हुआ था। जीव जो जन-जन के मानस में उत्साह भरने वाला है।
सामुहिक प्रतिक्रमण और अरिहंत वन्दना की गई। प्रवचन के बाद गीतिका शौभाग्य गंग, उत्तम कोठारी, रेणु पीचा, अर्पिता बैंगानी की ओर से प्रस्तुत की गई। तपस्या के भाव जोर शोर से घर-घर मे चल रहा है। पर्युषण पर्व में तपस्या जारी है जिसमें विशाल दस्सानी के 28 उपवास, रश्मि सिंघी एवं विकास नाहटा के आठ उपवास, रूबी बांठिया के सात, दिशा बैगानी एवं विकाश सिंघी के चार, अमन सेठिया के तीन उपवास के साथ-साथ लगभग सभी लोगों के उपवास, बयासना, एकासना चल रहा है।
वहीं शाम में सामुहिक प्रतिक्रमण और अरिहंत वन्दना की गई। गुरुवार की सुबह 10 बजे से क्षमायाचना का कार्यक्रम है, जिसमें तेरापंथी सभा के उपासकों और तपस्या करने वालों का बहुमान भी किया जाएगा। साथ ही महिला और बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जायेंगे। सभा के अध्यक्ष विमल दस्सानी एवं मंत्री घेवर चंद नाहटा ने सकल समाज को गुरुवार को क्षमायाचना सह विदाई समारोह के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अनुरोध किया। प्रवचन में विनोद बैंगानी, लाल चंद बोथरा, अशोक सुराणा, राकेश बछावत, पुखराज बेगवानी, कमला नाहटा, सुनीता सिंघी, सुमन बरमेचा, चंचल नाहटा, चंदा बोथरा, सोनू संचेती, खुशबु दस्सानी कई श्रावक और श्राविकाएं मौजूद थीं।

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