इंस्पेक्टर राजपाल और सिरोही की पहल लाई रंग, व्हाट्सअप की मदद से सुलझे सैकड़ों मामले

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर ने व्हाट्सएप ग्रुप पर दूसरे राज्यों के पुलिसकर्मियों को जब जोड़ा तो उन्हें खुद भी इस बात का इल्म न था कि आगे जाकर यह ग्रुप अपराधियों पर तेजी से नकेल कसने में मददगार साबित होगा। बाद में इस ग्रुप में सदस्यों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर व्हाट्सअप की बजाय टेलीग्राम ऐप का इस्तेमाल कर नया ग्रुप तैयार किया गया। इस ग्रुप में अब 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के 4000 से ज्यादा पुलिसकर्मी शामिल हैं और संगीन से संगीन मामले को सुलझाने में एक दूसरे के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। किसी भी बड़ी वारदात में यह लोग एक दूसरे से सहयोग लेते हैं और इसकी वजह से ऐसे मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने में उन्हें मदद मिलती है। अभी तक सैकड़ों वारदातों को यह ग्रुप सुलझा चुका है। जानकारी के अनुसार नेशनल पुलिस टीम के नाम से टेलीग्राम एप्प पर बनाए गए इस ग्रुप में 28 राज्यों एवं 6 केंद्र शासित प्रदेशों के तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को जोड़ा गया। इसमें अधिकतर पुलिसकर्मी हेडकांस्टेबल से इंस्पेक्टर रैंक के हैं, जो मामलो की जांच करते है।
एक दूसरे के सहयोग से करते है काम
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उक्त ग्रुप में केवल नागालैंड और लक्षद्वीप से कोई पुलिसकर्मी शामिल नहीं है। बाकी सभी राज्यों से क्राइम ब्रांच, एसटीएफ, सीआईडी, एटीएस जैसी महत्वपूर्ण एजेंसियों के सदस्य इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं। यह लोग किसी भी बड़े अपराध पर मिलकर काम करते हैं और एक दूसरे से सहयोग लेते हैं। इसकी वजह से अपराधी किसी भी राज्य का हो उसे पकड़ना मुश्किल नहीं होता।
1 घंटे के भीतर सत्यापन
किसी भी प्रकार की वारदात होने पर उससे संबंधित सीसीटीवी फुटेज , आरोपितों की तस्वीर या अन्य जानकारी तुरंत इस ग्रुप में शेयर की जाती है, अगर यह अंदाजा हो कि वह किस राज्य में भागा है तो वहां पर मौजूद इस ग्रुप के सदस्य को सूचित किया जाता है। वह तुरंत वहां इन अपराधियों को पकड़ने का काम करते हैं। अगर किसी का सत्यापन करना हो तो वह एक कॉल में महज एक घंटे के भीतर सत्यापन करवा लेते हैं जबकि दूसरे राज्य से सत्यापन कराने में अभी भी 24 से 48 घंटे का समय लगता है।
इन घटनाओं को सुलझाया
24 घंटे के भीतर पकड़ा गया पूर्व विधायक
नेबसराय इलाके के फार्म हाउस में नए साल की पार्टी पर पूर्व एमएलए राजू सिंह द्वारा जमकर हवाई फायरिंग के मामले में एक महिला की मौत हो गई थी। इस वारदात के बाद वह फरार हो गया था। उक्त मामले की जांच कर रहे एक सब इंस्पेक्टर ने टेलीग्राम एप्प के इस ग्रुप पर मैसेज डालकर बताया कि वह गोरखपुर की तरफ किस गाड़ी से जा रहा है।इस जानकारी पर उनके ग्रुप में मौजूद यूपी पुलिस के सदस्य ने उसे पकड़ लिया।
लुटेरों को भी पकड़ा
बीते 26 दिसंबर को वेलकम इलाके में हुई 60 लाख रुपये की लूट में सीसीटीवी फुटेज को इस ग्रुप में डाला गया था। कुछ ही घंटों में यूपी के एक सिपाही ने लुटेरे की पहचान कर उसे पकड़ने में दिल्ली पुलिस की मदद की। इसी क्रम में अगस्त 2016 में चेन्नई एक्सप्रेस से हुई 5 करोड़ रुपये की लूट के मामले को भी भोपाल पुलिस की मदद से इसी ग्रुप के जरिए ही सुलझाया गया था।
इस तरह शुरु हुआ यह ग्रुप
वर्ष 2012 में पहली बार दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राजपाल डबास और यूपी पुलिस के अधिकारी विनोद सिरोही ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिसका नाम था, हम पंछी एक डाल के। इस ग्रुप में अलग-अलग राज्यों के 40 पुलिसकर्मी पहली बार जुड़े थे। वर्ष 2013 में यह ग्रुप टेलीग्राम एप्प पर आ गया और इसका नाम रखा गया नेशनल पुलिस ग्रुप। अब तक इसमें चार हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी जुड़ चुके हैं। इसमें अब सीबीआई, एनआईए, कस्टम, आरपीएफ आदि एजेंसी के लोग भी शामिल होकर काम कर रहे हैं।

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