शहादत को सलाम : पुलवामा आतंकी हमले के शहीद तिलक राज पंचतत्व में विलीन

धर्मशाला। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में शहीद होने वाले जवान तिलक राज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को कांगड़ा जिले में स्थित उनके पैतृक गांव धेवा के श्मशानघाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सहित ज्वाली के विधायक अर्जुन सिंह तथा नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया सहित अन्य नेता व जिले के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा सैनिकों की हत्या कायरतापूर्ण कार्य है। भारत सरकार इस प्रकार के नापाक इरादों को सफल नहीं होने देगी। पाकिस्तान को इसका करारा जवाब दिया जाएगा। राज्य सरकार शहीद के परिजनों को 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के अतिरिक्त शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी सहित परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। शहीद की तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह जैसे ही शनिवार सुबह उनके घर पंहुची तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। शहीद की पत्नी पति की देह के साथ लिपटते ही बेसुध हो गई। घर में शहीद के दो साल का बेटा वरुण जहां यह माहौल देखकर चुपचाप था वहीं 25 दिन के छोटे बेटे विवान को मां की गोद भी नसीब नहीं हो रही थी। शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों ने शहीद तिलक राज अमर रहे के नारे लगाए। पाकिस्तान के खिलाफ लोगों का गुस्सा देखते ही बन रहा था। श्मशानघाट में शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया तथा उसके बाद उनके बड़े भाई बलदेव ने मुखाग्नि दी। शुक्रवार देर रात करीब साढ़े 11 बजे दिल्ली से पठानकोट हवाई अड्डे पर विशेष विमान से शहीद का शव पंहुचा था, जिसे वहां से रात को नूरपुर में रखा गया तथा शनिवार सुबह उनके घर लाया गया। रात को शहीद की पार्थिव देह लेने के लिए खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, विधायक ज्वाली अर्जुन सिंह सहित डीसी कांगड़ा और एसपी कांगड़ा वहां मौजूद थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आंतकी हमले में 40 जवानों के साथ हिमाचल प्रदेश के तिलक राज भी शहीद हो गए थे। ग्राम धेवा के जवान तिलक राज सपुत्र लायक राम महज 31 साल की उम्र में शहीद हो गए। शहीद तिलक राज अभी हाल ही में 11 फरवरी को घर से छुट्टी से वापस डयूटी पर लौटे थे। अपने दूसरे बेटे के जन्म के समय जनवरी में घर आए तिलक अपने 25 दिन के बेटे के जन्म की खुशियां परिवार के साथ बांटकर पिछले चार दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे। गद्दी परिवार से सम्बध रखने वाले तिलक विपरीत परिस्थितियों में अपनी मेहनत के बल पर सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे।

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