बख्तर साय मुण्डल सिंह स्मृति भवन गुमला में प्रांत जनजातीय छात्र जुटान कार्यक्रम का आयोजन

गुमला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखण्ड राँची के तत्वावधान में बख्तर साय मुण्डल सिंह स्मृति भवन गुमला में प्रांत जनजातीय छात्र जुटान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि झारखण्ड राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रीय महासंघ मंत्री के.एन. रघुनन्दन, अध्यक्ष एसटीएससी नन्द कुमार साय, पदमश्री सह सचिव विकास भारती विशुनपुर अशोक भगत शामिल हुए। कार्यक्रम में झारखण्ड राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा जनजातीय समाज का इतिहास काफी पुरानी है इनकी रितिरिवाज, परम्परा, समृद्ध, मनमोहक है। इनके पर्व-त्योहार, रहन-सहन सीधे-सीधे प्रकृति से लगाव का अनृठा प्रतीक है। इनका साद्गी व जोश हर व्यक्ति, वृद्ध-बच्चे एक रंग में जोश से साराबोर हो जाते है। आदिवासी समुदाय राज्य वाला झारखण्ड में जनजातीय समुदायों के लिए कई योजनाएं चल रही है। कार्य के प्रतिफल भी सामने परंतु कारगर प्रतिफल के लिए अधिक प्रयासों के साथ साथ एसटी/एससी को भी जागरूक शिक्षित होकर आगे आने की जरूरत है। एसटी/एससी शिक्षित हो सामाजिक आर्थिक संस्कृति प्रगति में ज्ञान व शिक्षित होना अति आवश्यक है। उच्च शिक्षा के प्रति युवक-युवति आगे आएं। प्रतियोगिता युग में आपकी प्रतिभा को निखारे। अब शिक्षण संस्थान इन वर्ग को माहौल देने का कार्य कर रहे है। समाज के शिक्षित लोग समाज के अन्य लोगों को भी बढ़ावा देने का कार्य करें। जनजातीय समुदाय की गौरवशाली परम्परा, संस्कृति, जीवनशैली, सादगी को पहचाने व सही गलत को कर्फ कर सही रास्ता चुनने की जरूरत है। उन्होंने कहा नामों में टाईटल को प्राथमिकता दें उराँव, मुण्डा आदि को रखे अभिभावक। जनजातीय समाज की गरीबी को दूर करने के लिए सभी बुद्धिजीवी कार्य करें। आदिवासी का आत्मसम्मान गौरव के पक्के है ’’ यह समुदाय कभी भीख नहीं मांगता’’ परंतु अपने अधिकार को जाने हक व पाने के लिए लड़े। संगठित होकर आपको तोड़ने वालों को पहचाने। एबीभीपी के राष्ट्रीय महासंगठन मंत्री के.एन. रघुनन्दन ने कहा, जनजातीय छात्र-छात्राओं की भागीदारी सभी क्षेत्र में बढ़े, अनुशासन की नींव पर संगठन एबीभीपी है। इसी परम्परा को आगे बढ़ाएं खासकर जनजातीय समाज देश की संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा से परम्परा रही है। मिशन सादगी के नाम से जनजातीय महिलाओं के आत्मविश्वास के लिए लाखों लोगों को जोड़ा गया। जनजातीय भाग संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहेगा। भारत को विश्वमुख बनाने में जनजातीय समुदाय की सहभागिता संस्कृति के अनुयवों को भी आत्मसात करने की जरूरत बताई। एसटी/एससी आयोग के अध्यक्ष नन्द कुमार साय, ने जनजातीय समाज की संस्कृति समृद्धशाली रहा है प्रकृति से पर्यावरण से नित्य प्रतिदिन का गहरा संबंध रहा है। पूरी दुनिया जब ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जुझ रहा है तब जनजातीय जीवनशैली प्रकृति प्रेम दुनिया के समक्ष एक उम्मीद की किरण है। धरती माता की  सेवा पूजा से ही सृष्टि को आगे बढ़ावा जा सकता है। उन्होंने कहा जरूरत है जनजातीय संस्कृति को समझने, अपनाने की समन्वय के साथ समाज को समृद्धशाली बनाने, ताकतवर बनाने की है। कार्यक्रम में पदमश्री सह सचिव विकास भारती विशुनपुर अशोक भगत ने कहा, 1972-82 से विकास भारती में आने जुड़ने में पूर्व से एबीभीवी में सक्रिय था पहले एवं अब की परिस्थितियों में काफी फर्क आया है। पहले चुनौति थी आदिवासियों मुख्य धारा में लाना है। आदिवासियों के प्रति पहले की धारणा अलग थी। गरीबी अभाव के नाम से जानते थे। कई एनजीओ इसकी गरीबी का फायदा उठाते है। उन्होंने कहा विकास सामुहिक भागीदारी से संभव है। अब समझने की जरूरत है, समृद्ध जनजातीय संस्कृति दुनिया के लिए विरासत संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए युवा आगे आए। गाँधी के आदर्श टाना भगत के आदर्श पर चलने का कार्य करें। आदिवासी विरोधी ताकतों के बहकावे के बजाय, आदिवासी नेता कार्तिक के आदर्श सपने को साकार करने का समय है। संस्कृति के रक्षक बिरसा के आदर्श पर चलने की जरूरत है। जनजातीय तकनीक का नमूना अशोक का प्रतिक है। जनजातीय समाज दलित, दबे कुचले नहीं है इनकी सांस्कृतिक विरासत महान समान है। उन्होंने कहा आदिवासी राजा है उनको सम्मान मिलना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में मिशिर कुजूर, प्रदेश अध्यक्ष नाथू गाड़ी, सागर उराँव व एबीभीवी के सदस्यों ने सराहनीय कार्य किया।

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