खुफिया समुदाय के साथ विचार मिलते जुलते हैं: ट्रम्प

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक खतरे के आकलन में खुद के साथ असहमति जताने वाले अपने शीर्ष खुफिया अधिकारियों को वापस स्कूल जाने की नसीहत देने के एक दिन बाद, बृहस्पतिवार को कहा कि उनके और देश के खुफिया समुदाय के नेतृत्व के विचार मिलते जुलते हैं। नेशनल इंटेलिजेन्स के निदेशक डेन कोट्स, सीआईए निदेशक जिना हेस्पेल तथा अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि सीनेट में बहस के दौरान इन लोगों ने उन्हें जो कुछ बताया उसे मीडिया ने तोड़मरोड़ दिया था। एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा ओवल ऑफिस में अभी अभी ही मेरी खुफिया टीम के साथ बैठक हुई जिसने मुझे बताया कि मंगलवार को सीनेट की बहस में उनकी कही बातों को मीडिया ने किस तरह तोड़ा..मरोड़ा हमने आईएसआईएस, उत्तर कोरिया, ईरान पर समझौते आदि के बारे में चर्चा की। आगे ट्रंप ने लिखा बहस में जो कहा गया, उसे तोड़मरोड़ दिया गया। मैं आपको मंगलवार की पूरी बहस को पढ़ने का सुझाव दूंगा। गलत बातें हमारे देश के लिए ठीक नहीं हैं। मैं हमारे खुफिया समुदाय को महत्व देता हूं। हमारी बैठक अच्छी रही और हमारे विचार मिलते जुलते हैं। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ने ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से कहा उन्होंने (खुफिया समुदाय के प्रमुखों ने) कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया और उनके संदर्भ ही बदल दिए गए। उन्होंने कहा कि यह झूठी खबरें हैं… इससे मुझे हैरत नहीं हुई। इससे पहले राष्ट्रपति ने बुधवार को अमेरिकी खुफिया प्रमुखों को नौसिखिया अत्यंत निष्क्रिय करार देते हुए उन्हें फिर से स्कूल जाने को कहा था। कांग्रेस में बहस के दौरान इन खुफिया प्रमुखों ने ईरान, उत्तर कोरिया और आईएसआईएस की ओर से आसन्न खतरे के बारे में ट्रंप के विचारों से बिल्कुल अलग राय जाहिर की थी। शीर्ष खुफिया अधिकारियों ने मंगलवार को सीनेट में बहस के दौरान कहा था कि उत्तर कोरिया से परमाणु खतरा लगातार बना हुआ है और ईरान परमाणु बम बनाने के लिए कदम नहीं उठा रहा है। लेकिन ट्रंप का आकलन इन देशों के बारे में बिल्कुल अलग था। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लगातार खतरनाक बताते हुए ट्रंप ने ट्वीट किया ईरान के खतरे की बात पर खुफिया अधिकारी अत्यंत निष्क्रिय और नौसिखिया प्रतीत होते हैं। वे गलत हैं। विदेश नीति संबंधी ट्वीट की श्रृंखला में ट्रंप ने कहा जब मैं राष्ट्रपति बना था तब ईरान पूरे पश्चिम एशिया और उससे भी आगे परेशानी खड़ी कर रहा था। भयावह ईरान परमाणु सौदे को खत्म करने के बाद, वह कुछ तो बदला है लेकिन खतरे और संघर्ष का स्रोत बना हुआ है। देश के शक्तिशालाी खुफिया समुदाय की तीखी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा वे रॉकेटों का परीक्षण तथा और भी बहुत कुछ कर रहे हैं। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और केवल इसी वजह से उन पर कुछ अंकुश लगा है। ईरान से सतर्क रहें। खुफिया अधिकारियों को शायद फिर से स्कूल जाना चाहिए।

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