रांची। झारखंड हाई कोर्ट में देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और चुनावी कार्यों से उन्हें अलग रखने के इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) के आदेश के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई सोमवार को हुई। कोर्ट ने ईसीआई के इस दलील को नहीं माना कि इस मामले की सुनवाई सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में होनी चाहिए।
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में मेंटीबिलिटी (याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं) पर बहस हुई। कोर्ट ने कहा कि यह मामला रिट पिटीशन सर्विस (डब्ल्यूपीएस) का नहीं है। क्योंकि, सर्विस मैटर में एंप्लॉय एवं एंपलॉयर का संबंध रहता है। यह मामला रिट पिटीशन सिविल (डब्ल्यूपीसी) का है। इस मैटर को डब्ल्यूपीसी के रूप में सुनवाई योग्य मानते हुए हाई कोर्ट में सुने जाने का निर्देश देते हुए मामले को सक्षम बेंच में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।
मामले में ईसीआई की ओर से इसकी सुनवाई कैट में करने का आग्रह किया गया था। राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी के पास इस मामले को हाई कोर्ट के अलावा कैट में भी ले जाने का भी विकल्प है। याचिकाकर्ता मंजूनाथ की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई प्रोसीडिंग कभी शुरू ही नहीं हुई है। इसलिए इस मामले को कैट में ले जाना उचित नहीं है। प्रार्थी की ओर से इस डब्ल्यूपीएस को डब्ल्यूपीसी में बदलने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया गया था। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिंह, अधिवक्ता प्रेरणा झुनझुनवाला, अधिवक्ता सुरभी ने पैरवी की। ईसीआई की ओर से अधिवक्ता एके सिंह ने पैरवी की। राज्य सरकार से अधिवक्ता पीसी सिन्हा ने पक्ष रखा।
इलेक्शन कमिशन आफ इंडिया की ओर से बताया गया है कि मंजूनाथ ने मधुपुर उपचुनाव के दौरान दुर्भावना और राजनीति से प्रेरित होकर सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसलिए इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए और आने वाले चुनाव में इन्हें इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त रखा जाए। देवघर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ ने दायर याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग, भारत सरकार ने उन पर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि आने वाले किसी चुनाव से उन्हें अलग रखा जाए जबकि चुनाव आयोग को राज्य सरकार के अधिकारी के खिलाफ इस तरह के आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।
चुनाव आयोग ने छह दिसंबर 2021 को झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था। इसमें मंजूनाथ को पद से हटाने एवं उन्हें चुनावी कार्य में नहीं लगाने का आदेश किया था। मुख्य सचिव को मंजूनाथ के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर एक दिन में पांच थानों में केस दर्ज करने मामले में दोषी माना था।
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