अंजुमन फरोग ए उर्दू के तत्वावधान में शायर दिलशाद नजमी की दो पुस्तकों का लोकार्पण| दिलशाद नजमी का नाम साहित्य जगत में महत्वपूर्ण:समी आजाद



रांची- अंजमन फोराग ए उर्दू द्वारा शनिवार को मस्जिद जाफरिया हॉल रांची में झारखंड के प्रसिद्ध शायर दिलशाद नजमी की दो पुस्तकें ,कोई एक लम्हा रकम नहीं, (गजलियात) और , एहतेजाज लफ्जों का,(कविताएं) का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कारी मो० आरिफ द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। इसके बाद दोनों पुस्तकों का विधिवत लोकार्पण हुआ। मासूमा परवीन ने दिलशाद नजमी की किताब कोई एक लम्हा रकम नहीं पर अपनी राय जाहिर की। उसके बाद शगोफा जहजीब ने दिलशाद नजमी की गजलों के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें प्रस्तुत कीं। साथ ही उन्होंने कविताओं पर भी विस्तार से चर्चा की। छात्र अबरार आलम ने दिलशाद नजमी की कविताओं के बारे में बताया। इसके बाद डॉ. अब्दुल बासित, उर्दू विभाग, गोस्नर कॉलेज रांची ने दिलशाद नजमी की गजलों और कविताओं के बारे में विस्तृत चर्चा की। दिलशाद नजमी की शायरी के बारे में मुकम्मल हुसैन ने कहा कि शायरी की हर विधा पर दिलशाद साहब का दबदबा ह। वह शब्दों से खेलने की कला बहुत अच्छे से जानते हैं । वह एक सज्जन व्यक्ति हैं, साहित्य के नायक हैं, विचार और कला के दिग्गज हैं, जो अथक रूप से अपनी मंजिल का पीछा करते है। सोहेल सईद ने अपने भाषण में कहा कि मुनाफकत का साहित्य के उत्थान और विकास से कोई लेना-देना नहीं ह। दिलशाद नजमी के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें दूसरे राज्यों में झारखंड का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त हुआ ह। डॉ. महफूज आलम ने कविताओं के संबंध में अपनी बातें रखते हुए कहा कि कविता में दिलशाद नजमी ने समसामयिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कविता को अपने आधुनिक अंदाज में रंगने का सफल प्रयास किया है। नसीर अफसर ने मेकॉन में मुशायरों का जिक्र करते हुए कहा कि दिलशाद नजमी से मेरी पहली मुलाकात उस दौरान एक बड़े मुशायरे के मंच पर हुई थी, जहां उन्होंने तरन्नुम के साथ अपनी मानक गजल सुनाई थी। अब्दुल वेदुद अजनबी ने ं उर्दू की ईमानदारी से सेवा करने की सलाह दी। कहा कि उर्दू भाषा आज पूर्वाग्रह का शिकार हो गई है। जबकि यह भाषा संपूर्ण मानवता के कल्याण की गारंटर है। गुमला से आये आफताब अन्जुम अजहर ने दिलशाद नजमी के साथ अपने पुराने रिश्ते का जिक्र किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समी आजाद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि उर्दू के विकास के लिए हम सभी को आगे आना होगा। दिलशाद नजमी जैसे शायरों को प्रोत्साहित करने की सख्त जरूरत है। अंत में दिलशाद नजमी ने सभी सम्मानित प्रतिभागियों को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शगुफ्ता बानो ने किया। कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को अंजुमन फरोग ए उर्दू की ओर से प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग के अवर सचिव अरशद जमाल, डॉ. तनवीर मजहर, मो० सरफराज आलम कादरी, तैयबा आफरीन, मो० इकबाल, तस्मिया आफरीन, दानिश अयाज, मो० मेराजुद्दीन, मुकर्रम हयात, साजिद अंसारी, तबीब अहसन ताबिश, कारी जुबैर, शहाब हमजा, मो० एहसान, अल्ताफ राजा, अब्दुल हकीम, अरशद जमाल, वसीम अकरम, मो० साजिद, आदिल रशीद, राजदा खातून, माजदा परवीन, रौनक परवीन, रुखसाना परवीन, अफसाना परवीन, नकीबा, नरगिस, सादिया, सदफ, सना, हाफिज आरिफ, मेहजबीन, कहकशां, शबाना सहित कई अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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