नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को कहा कि भूमि पर रसायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से निजात पाने और मृदा की उर्वरता बढ़ाने के लिए वर्ष 2019-20 के बजट में पहली बार ‘‘शून्य बजट प्राकृतिक कृषि’’ का उल्लेख किया गया है। रूपाला ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान रसायनिक उर्वरकों के अत्यधिक इस्तेमाल से खेतों में मृदा की नष्ट हो रही उवर्रता से निजात पाने के लिए सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह कहा। उल्लेखनीय है कि शून्य बजट प्राकृतिक कृषि के तहत कृषि में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मंत्री ने कहा कि शून्य बजट कृषि भूमि पर रसायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव को दूर करने में मददगार साबित होगी और बजट (2019-20) में पहली बार इसका उल्लेख किया गया है। पंचायत स्तर पर मृदा की जांच के लिए उठाए जा रहे कदम के बारे में पूछे गए एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि करीब 8,500 मिनी मृदा जांच प्रयोगशाला की मंजूरी दी गई है और मृदा की जांच ग्राम स्तर तक करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
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