रांची। द्वादश ज्योतिर्लिं गों में सर्वाधिक महिमामंडित बाबा वैद्यनाथ कामनालिंग के दरबार में एक माह चलने वाला विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 17 जुलाई से शुरू हो जाएगा। मेले का उद्घाटन बुधवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित दुम्मा में करेंगे। मेले को लेकर लंबे समय से तैयारियां चल रही हैं। मॉनिटरिंग भी कई स्तरों पर हाे रही है। श्रावणी मेले को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। देवघर जिला प्रशासन को अनुमान है कि इस साल बाबा वैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिए 40 से 45 लाख श्रद्धालु देवघर पहुंचेगे।

आज मंगलवार को गुरु पूर्णिमा तक बाबा पर जलार्पण के बाद स्पर्श करने वाले भक्त श्रावणी मेले के पहले दिन से ही अरघा व्यवस्था के तहत जलार्पण करेंगे। बिहार के सुल्तानगंज से नंगे पांव 105 किमी की पैदल कांवर यात्रा कर झारखंड के देव नगरी पहुंचने पर जलार्पण के लिए बीएड कॉलेज से लाइन लगेगी। शिवगंगा के पश्चिमी किनारे नेहरू पार्क से मानसरोवर तट होते हुए बाबा मंदिर तक श्रद्धालु पहुंचेंगे। अस्थायी स्तर पर इंट्रेंस कॉप्लेक्स में भक्तों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। वहीं, सीसीटीवी के माध्यम से उन्हें मंदिर और रास्तों की गतिविधियों से भी अवगत कराया जाता रहेगा। जल्द पूजा की चाहत रखने वाले भक्तों के लिए शीघ्र दर्शनम् पास की व्यवस्था के लिए कई काउंटर बनाए गए हैं। निःशक्त श्रद्धालुओं के लिए भी अलग से बाबा वैद्यनाथ मंदिर में निकास द्वार के बाहर व्यवस्था की गई है। विशेष प्रकार के पात्र तैयार कराए गए हैं, जिसमें निःशक्त श्रद्धालु जल भरेंगे और मशीन के माध्यम से उस जल को सीधे बाबा वैद्यनाथ पर अर्पित कर दिया जाएगा। जलपात्र के निकट टीवी लगा रहेगा, जिसमें वे अपना जल अर्पित होते सीधे देख सकेंगे।
देवघर में जलार्पण के बाद श्रद्धालुओं के बासुकीनाथ जाने की परंपरा है। बाबा वैद्यनाथ कामनालिंग पर जल अर्पित करने के बाद कांवरिये बाबा बासुकीनाथ (फौजदारी बाबा) पर जलाभिषेक करते हैं, अन्यथा पूजा अधूरी मानी जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने वहां भी सुविधा और सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की है। पूरे सावन के बाद भादो में भी झारखंड-बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा समेत देश के विभिन्न हिस्साें से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। हालांकि इनमें खेतीबारी से निवृत्त हो चुके किसानों की संख्या ज्यादा होती है।
देवघर के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि कांवरियों की सुविधा के लिए प्रशासनिक स्तर पर तमाम तैयारियां की गई हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिले यह प्राथमिकता में है। विधि-व्यवस्था के मद्देनजर भी श्रद्धालुओं के लिए पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।
मानसराेवर के निकट अलग रास्ते की व्यवस्था
बाबा वैद्यनाथ पर जलार्पण करने के लिए देश.विदेश से पहुंचने वाले शिवभक्ताें की सुविधा के लिए मानसरोवर के निकट से अलग रास्ते का निर्माण कराया गया है, ताकि लाइन लगने में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हाे। मानसरोवर के निकट से बनाए गए रास्ते के सहारे कतारबद्ध होने वाले श्रद्धालु जलसार पार्क होते हुए बीएड कॉलेज पहुंचेंगे। बाबा मंदिर वीआईपी गेट के बाहर गंदगी का अंबार नहीं दिखेगा। शहर व मेला क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए कुंभ मेला के सफाई कर्मियों सहित अन्य कर्मियों को भी लगाया गया है। अन्य वर्षों से अलग इस वर्ष मेला क्षेत्र एलइडी व स्पाइरल लाईट से जगमग रहेगा। नगर निगम की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में हर पोल पर एलइडी लाइट लगायी गयी है।
देवनगरी में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं को मिलेगी सुखद अनुभूति
राजकीय श्रावणी मेला के दौरान देवघर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर से बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के मद्देनजर चौतरफा तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं के स्वागत को लेकर बैद्यनाथ धाम को बेहतर और आकर्षक लुक देने का काम किया गया है। बाबाधाम को आकर्षक विद्युत व्यवस्था के साथ दूधिया रोशनी से नहलाया गया है। श्रद्धालुओं के स्वागत में जगह-जगह पर स्पाइरल लाइट और झालर लाइट से शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
बासुकीनाथ में सोमवार-मंगलवार को अर्घा से जलार्पण
बासुकीनाथ धाम में सोमवार और मंगलवार को अरघा से बाबा पर जलार्पण होगा। भीड़ बढ़ने पर अन्य दिनों में भी अरघा सिस्टम से जलार्पण की व्यवस्था की जा सकती है। पूरे सावन वीआईपी पूजा पर रोक रहेगी। जबकि शीघ्र दर्शनम का कूपन कटा कर कोई भी श्रद्धालु बाबा की पूजा कर सकता है। डीसी राजेश्वरी बी ने इस बार स्वच्छता और विनम्रता का पालन करने का निर्देश सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया है।
17 को श्रावणी मेला का उदघाटन करेंगे सीएम, चंद्रग्रहण के कारण तिथि बदली
राज्य गठन के बाद से श्रावणी मेला का उदघाटन पूर्णिमा के दिन किया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष 16 जुलाई को पूर्णिमा के साथ चंद्रग्रहण का भी संयोग है। चंद्रग्रहण शुभ नहीं माना जाता है। इस वजह से राज्य सरकार ने परंपरा में परिवर्तन करते हुए श्रावणी मेले के उदघाटन की अवधि एक दिन बढ़ा दी है। अब सावन के पहले दिन 17 जुलाई को झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित दुम्मा में मुख्यमंत्री रघुवर दास देवघर के विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का उद्घाटन करेंगे। इससे पहले भी 2018 में चंद्रग्रहण की वजह से पहले सावन को मुख्यमंत्री ने श्रावणी मेले का उद्घाटन किया था। चंद्रग्रहण भारत के पूर्वी क्षेत्र बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में दिखायी देगा। ग्रहण की अवधि में ही चंद्र अस्त हो जायेगा। शास्त्रों के अनुसार, चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण से नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। इस हिसाब से सूतक 15 जुलाई की शाम 4.31 बजे से ही शुरू हो जायेगा। ऐसे में सूतक काल शुरू होने से पहले गुरु पूर्णिमा की पूजा हो जायेगी। सूतक काल के दौरान पूजा नहीं की जाती है।
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