नई दिल्ली : शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का मानना था कि जिस दल के पास ज्यादा विधायक हों सीएम उसी का होना चाहिए. साथ ही उनका कहना था कि अगर बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता से बाहर हुई तो केंद्र में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. साल 1999 में एनडीटीवी को दिये एक इंटरव्यू में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से जब यह पूछा जाता है, ‘क्या इस बार सीएम की कुर्सी आपके (शिवसेना) के पास रहेगी?’ इसके जवाब में वह कहते हैं, ‘हमें उस पोस्ट की चिंता नहीं है. सबसे जरूरी है पहले सत्ता में आना. इसके बाद नीतियां तय होती हैं और यह देखा जाता है कि किसके एमएलए ज्यादा हैं, बीजेपी के या शिवसेना के…उसके पास सीएम की पोस्ट होगी.’ यह पूछने पर कि गठबंधन का हर दल उस पोस्ट (सीएम पद) के लिए प्रयास कर रहा है तो बाल ठाकरे कहते हैं, ‘प्रयास करने में हर्ज ही क्या है…अगर बीजेपी के लोग प्रयास कर रहे हैं…या हम (शिवसेना) प्रयास कर रहे हैं तो करना चाहिए’
इस सवाल के जवाब में कि खबर है कि बीजेपी कुछ क्षेत्रों में शिवसेना के उम्मीदवार को हराने का प्रयास कर रही है, बाला साहब ठाकरे कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता. मैं अफवाहों पर ध्यान नहीं देता हूं. मुझे षड्यंत्र से नफरत है और मैंने पूरे जीवन ऐसा कभी नहीं किया. इसलिये हां या न कहना मुश्किल है, लेकिन मेरा मानना है कि बीजेपी डर्टी गेम या ट्रिक नहीं आजमाएगी, क्योंकि सिर्फ यहां (महाराष्ट्र) में सत्ता हासिल करने का सवाल नहीं है, बल्कि उनके लिए केंद्र की सत्ता में आना भी बहुत जरूरी है. ऐसे में हम कुछ नहीं खोएंगे…वे लूजर्स साबित होंगे. इसलिये यहां और केंद्र दोनों जगह बहुमत हासिल करना जरूरी है.’
इंटरव्यू के दौरान बाल ठाकरे कहते हैं कि ‘राजनीति में आपको हल्की बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, जब तक कि आपके पास कोई सबूत नहीं हो. वे कहते हैं कि कई बार बर्थडे या शादी की पार्टी में दो विपक्षी धड़े के नेताओं की मुलाकात हो जाती है, इसका मतलब यह नहीं है कि अंदरखाने कुछ चल ही रहा हो. कोई प्लॉट तैयार किया जा रहा हो.’ इसी इंटरव्यू में बाल ठाकरे किसी भी सूरत में एनसीपी से गठबंधन से इनकार करते हुए कहते हैं कि जो आदमी वाजपेयी सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार हो, उससे हम हाथ भी कैसे मिला सकते हैं?
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