लंदन। ब्रिटेन की संसद ने बिना किसी स्पष्ट समझौते के ब्रेक्जिट के प्रस्ताव को बुधवार को खारिज कर दिया है। इससे ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर होने की निर्धारित समयसीमा आगे खिसक सकती है। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर निकलने की समयसीमा 29 मार्च है। यह दूसरा मौका है जब ब्रिटेन की संसद ने ब्रेक्जिट संबंधी प्रस्ताव को खारिज किया है। बुधवार को ब्रिटिश संसद में पेश ब्रेक्जिट संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में 278 सांसदों ने मतदान किया जबकि 321 सांसदों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। हालांकि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे की सरकार ने बिना किसी समझौते के ब्रेक्जिट की उम्मीद को बरकरार रखा है। सरकार का कहना है कि अब ब्रिटेन के समक्ष दो ही रास्ते बचे हैं। पहला रास्ता ब्रेक्जिट को कुछ समय के लिये टालकर समझौते तक पहुंचने की कोशिश करना है और दूसरा रास्ता किसी करार पर नहीं पहुंचकर अपेक्षाकृत लंबे समय तक ब्रेक्जिट का टलना है। हालांकि मे ने कहा कि वह पहले रास्ते को तरजीह देना पसंद करेंगी। बृहस्पतिवार को मतदान के लिये संसद में रखे जाने वाले एक प्रस्ताव में सरकार ने कहा है कि यदि यूरोपीय संघ के सम्मेलन से एक दिन पहले तक यानी 20 मार्च तक किसी समझौते पर सहमति बन गयी तो ब्रिटेन ब्रेक्जिट के लिये बातचीत की अवधि को 29 मार्च से आगे बढ़ाने की मांग करेगा। ब्रिटेन इसे नई यूरोपीय संसद की बैठक शुरू होने से पहले यानी 30 जून तक समयसीमा को बढ़ाने की मांग करेगा। सरकार ने प्रस्ताव में कहा है कि यदि 20 मार्च तक सौदे पर कोई सहमति नहीं बनी तो 21 मार्च को यूरोपीय परिषद की बैठक में समयसीमा बढ़ाने की ठोस वजह बतानी होगी। इसके साथ ही ब्रिटेन को मई 2019 में होने वाले यूरोपीय संघ चुनाव में भी हिस्सा लेना होगा। बुधवार को हुए मतदान के बाद यूरोपीय संघ ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बिना किसी समझौते के ब्रेक्जिट प्रस्ताव को खारिज कर देने भर से संसद का काम पूरा नहीं हो जाता, बल्कि उन्हें ऐसी स्थिति में किसी ऐसे करार तक पहुंचना होगा जिसे प्रतिनिधि स्वीकार कर सकें।
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