बीएयू में राई-सरसों वैज्ञानिकों की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक 03 अगस्त से

  • देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के 140 वैज्ञानिक भाग लेंगे

रांचीI राई-सरसों सम्बन्धी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 26वीं वार्षिक समूह बैठक 03 से 05 अगस्त तक बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में होगी, जिसमें देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के 140 वैज्ञानिक भाग लेंगे I बैठक में देश में राई-सरसों का क्षेत्र, उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने पर चर्चा होगी तथा देश के विभिन्न भागों में गत वर्ष हुई शोध प्रगति की समीक्षा की जाएगीI शुक्रवार को यह जानकारी बीएयू के मीडिया प्रभारी पंकज वत्सल ने दी।

बीएयू के आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष तथा आयोजन सचिव डॉ. जेडए हैदर ने बताया 03 अगस्त को इसका उद्घाटन कुलपति डॉ. आरएस कुरील करेंगे जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के सहायक महानिदेशक (तेलहन एवं दलहन) डॉ. एसके झा और अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. अरविन्द कुमार विशिष्ट अतिथि होंगेI पांच अगस्त को समापन सत्र में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ. डीके यादव भी उपस्थित रहेंगेI

डॉ. हैदर ने बताया कि भारत में सोयाबीन के बाद राई-सरसों सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जिसकी खेती कुल तिलहन क्षेत्र के लगभग 24 प्रतिशत भाग में होती हैI इसमें तेल करीब 42 प्रतिशत होता हैI इसकी खली में 38-40 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है, जो एक अच्छा पशु आहार हैI शोधों से साबित हुआ है कि राई-सरसों के तेल में संतृप्त वसा अम्ल की मात्रा अन्य खाद्य तेलों से कम तथा असंतृप्त वसा अम्ल की मात्रा अन्य खाद्य तेलों से ज्यादा संतुलित होती हैI इस कारण अन्य खाद्य तेलों की तुलना में सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता हैI उन्होंने कहा कि झारखंड में सात तेलहनी फसल सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, कुसुम, तिल और सरगुजा की खेती होती है, लेकिन सबसे ज्यादा योगदान (लगभग 79 प्रतिशत) तोरी-सरसों का हैI यहां के किसान इसकी खेती शुद्ध फसल के रूप में नहीं करके गेहूं, मटर, चना आदि फसलों के साथ मिश्रित रूप में करते हैंI उन्नत प्रभेदों और तकनीकों का प्रयोग भी कम हैI इन्हीं कारणों से राज्य में इसकी औसत उत्पादकता मात्र 715 किग्रा प्रति हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय औसत उत्पादकता (1,322 किग्रा) और विश्व औसत (1,974 किग्रा) से बहुत कम हैI

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