शिनजियांग के उइगर मुसलमानों के हालात पर भी अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाया

– बाइडेन ने 20वीं सदी में अर्मेनियाई लोगों की हत्या को बताया नरसंहार 

विल्मिंगटन : अमेरिका ने एक साथ तुर्की और चीन को झटका दिया है। अमेरिका ने 20वीं सदी में ऑटोमन साम्राज्य में लाखों आर्मेनियाई लोगों के मारे जाने को तुर्की द्वारा सुनियोजित नसंहार करार दिया है। हालांकि दशकों तक अमेरिका ने इस नरसंहार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन की इस प्रतिक्रिया से तुर्की को बड़ा झटका लगा है। नाटो में तुर्की एकमात्र सहयोगी मुस्लिम देश है। इसके अलावा शिनजियांग के उइगर मुसलमानों के हालात पर भी अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाया है।  

तुर्की द्वारा वर्ष 1915 में शुरू हुए नरसंहार पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वायदा किया था कि जीत पर वे इसकी निंदा करेंगे। जिसे उन्होंने अर्मेनियाई के वार्षिक यादगार दिवस के दिन पूरा किया। बाइडेन ने इस सिलसिले को खत्म करते हुए शनिवार को हत्याओं को नरसंहार की संज्ञा दी। जानकारी के मुताबिक इस नरसंहार में करीब 15 लाख आर्मेनियाई लोगों को मार डाला गया और 20 लाख लोगों को विस्थापित कर दिया गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन के शिनजियांग प्रांत में मुस्लिम उइगरों से कराई जा रही बंधुआ मजदूरी को रोकने के लिए नए सिरे से प्रयास करेंगे। वह जी 7 देशों से भी चीन पर बंधुआ मजदूरी रोकने के लिए दबाव डालने को कहेंगे।

व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ब्रिटेन में जून में होने वाली जी 7 देशों की बैठक में व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे। बैठक के एजेंडे के साथ ही वह शिनजियांग में बंधुआ मजदूरी के मुद्दे पर भी वार्ता करेंगे। बाइडेन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने बताया कि जी 7 की बैठक में महामारी, स्वास्थ्य सुरक्षा, आर्थिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मुख्य रूप से वार्ता होगी। दलीप सिंह ने बताया कि वाशिंगटन पहले ही शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ क़़डी कार्रवाई कर चुका है। अब हम जी 7 देशों के साथ कार्रवाई को और अधिक प्रभावकारी बनाएंगे।  

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