नई दिल्ली। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 2022 तक 1,75,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता के लक्ष्य से चूक जाने की खबरों को बृहस्पतिवार को बेबुनियाद करार देते हुए दावा किया कि 2022 तक न सिर्फ यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा बल्कि इसे पार भी कर लिया जाएगा। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि लक्ष्य को पाने से संबंधित संदेह आधारहीन हैं और इनका जमीनी वास्तविकता से कोई नाता नहीं है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने इस सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में लक्ष्य 42 प्रतिशत तक कम रहने की आशंका व्यक्त की थी। एजेंसी का कहना था कि नीति को लेकर अनिश्चितता और शुल्क व्यवस्था में खामियों के कारण सरकार इस लक्ष्य से चूक सकती है। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन सरकार के 1,75,000 मेगावाट के लक्ष्य से 42 प्रतिशत कम रह सकता है। मंत्रालय ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा, ‘‘सितंबर 2019 तक देश में 82,580 मेगावाट से अधिक क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र लगाये जा चुके हैं तथा 31,150 मेगावाट क्षमता के संयंत्र विकास के विभिन्न चरणों में हैं। वर्ष 2021 की पहली तिमाही तक 1,13,000 मेगावाट से अधिक क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र लग जाएंगे। यह लक्ष्य का करीब 65 प्रतिशत होगा। इसके अलावा करीब 39 हजार मेगावाट के अक्षय ऊर्जा संयंत्रों के लिये निविदाएं मंगायी गयी हैं और सितंबर 2021 तक ये भी तैयार हो जाएंगे। इससे लक्ष्य का 87 प्रतिशत से अधिक हासिल कर लिया जाएगा।’’ मंत्रालय ने कहा कि वह 1,75,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को न सिर्फ पा लेगा बल्कि इसे पार कर लिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि उसने समय-समय पर सामने आयी दिक्कतों को दूर करने के लिये व्यवस्थात्मक तरीके से काम किया है। इसके कारण पवन ऊर्जा की दर 2016 के 4.18 रुपये प्रति यूनिट से कम होकर 2.43 रुपये प्रति यूनिट पर आ गयी। अभी भी यह 2.75 रुपये प्रति यूनिट से कम है। इसके साथ ही सौर ऊर्जा की दर भी 4.43 रुपये प्रति यूनिट से कम होकर 2.44 रुपये प्रति यूनिट पर आ गयी है। मंत्रालय ने कहा कि मार्च 2014 से देश में अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता को 34 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 82,850 मेगावाट कर लिया गया है। यह 138 प्रतिशत की वृद्धि है। वैश्विक स्तर पर भारत सौर ऊर्जा में पांचवें स्थान पर, पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर और कुल अक्षय ऊर्जा के मामले में चौथे स्थान पर है। यदि बड़े पनबिजली संयंत्रों को जोड़ लिया जाये तो अक्षय ऊर्जा के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है।
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