काबुल: भले ही तालिबान उदारता बरतने के कितने भी वादे करे लेकिन अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद से ही वह चुन-चुन कर उन लोगों को मार रहा है, जिन्होंने अतीत में उनके खिलाफ काम किया था. इसमें अफगानी सैनिक, सरकार से जुड़े लोग आदि शामिल हैं. वहीं सरकारी इमारतों, सैन्य ठिकानों आदि पर कब्जा जमाने की खबरों के बीच एक और चौंकाने वाली खबर आई है कि तालिबानी लड़ाके दूतावासों को भी नहीं बख्श रहे हैं.
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भारतीय दूतावासों की ली तलाशी
तालिबानी लड़ाकों ने बुधवार को कंधार और हेरात में बंद पड़े भारतीय वाणिज्य दूतावासों की तलाशी ली. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानियों ने दूतावास की अलमारी में कागजात खंगाले और पार्किंग में खड़ी कारें ले गए. हालांकि जलालाबाद स्थित दूतावास के बारे में जानकारी नहीं मिली है. बताया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क के तकरीबन 6000 लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर कब्जा जमा लिया है. ये लड़ाके इस आतंकवादी समूह के प्रमुख और तालिबान के उप नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी के नेतृत्व में काबुल में कत्लेआम मचा रहे हैं.
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सिराजुद्दीन हक्कानी क्वेटा में बैठकर निर्देश दे रहा है. इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और एचसीएनआर के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला से बातचीत की जा रही है कि वह तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को औपचारिक तौर पर सत्ता सौंप दे. बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान द्वारा कब्जा करने से कुछ घंटे पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी मोटी रकम लेकर देश से भाग गए थे.
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