सुप्रीम कोर्ट ने इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत के मामले पर बंद की सुनवाई

नई दिल्ली। बिहार में इंसेफेलाइटिस से हो रही बच्चों की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बन्द कर दी है। कोर्ट ने राज्य में डॉक्टरों के रिक्त पड़े पदों को भरने की मांग पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट डॉक्टरों की भर्ती नहीं कर सकता, बाकी राहत के लिए याचिकाकर्ता चाहें तो पटना हाईकोर्ट जा सकते हैं। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है लेकिन केंद्र ने राज्य सरकार को पूरा सहयोग दिया था। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि नेशनल हेल्थ मिशन के फण्ड से राज्य सरकार एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में बच्चो के लिए सौ बेड वाला आईसीयू शुरू करेगी। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि नेशनल हेल्थ मिशन के फंड से निकटवर्ती जिलों में 10 बेड वाले आईसीयू और पांच वायरोलॉजी लैब स्थापित की जाएगी। हलफनामे में कहा गया था कि एंसेफ्लाइटिस फैलने के कारणों का पता लगाने के लिये हाई क्वालिटी रिसर्च टीम का गठन किया जाएगा। बीमारी फैलने के सम्भावित समय से 3-4 महीने पहले ही डॉक्टरों की टीमें पब्लिक हेल्थ सेंटर्स पर मौजूद रहेगी। बिहार सरकार ने अपने हलफनामे में ये स्वीकार किया था कि स्वास्थ्य विभाग में ‘human resources’ की बेहद कमी है। हलफनामे में नीतीश सरकार ने माना था कि 47 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। विभाग में 71 फीसदी नर्स, 62 फीसदी लैब और 48 फीसदी फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हैं। नीतीश सरकार ने कोर्ट को ये आश्वस्त करने की कोशिश की थी कि मेडिकल अफसर, पैरा मेडिकल और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति को लेकर वो कदम उठाने जा रही है। अपने हलफनामे में बिहार सरकार ने कहा था कि मौसम में बदलाव और राज्य सरकार के प्रयास से बीमारी में काफी कमी आई है। सरकार बीमारी की वजह ढूंढने और दूरगामी समाधान करने में लगी है। खुद मुख्यमंत्री मसले को गंभीरता के साथ देख रहे हैं। याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजनामी ने दायर किया था। याचिका में राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कोर्ट के दखल की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि कोर्ट सरकार को 500 आईसीयू इंतजाम करने,100 मोबाइल आईसीयू को मुजफ्फरपुर भेजे जाने, पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध कराने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिका में मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई थी। मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में कई बच्चों की मौत हुई थी।

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