नई दिल्ली । भारत ने कहा है कि रोहिंग्या मुद्दा म्यांमार और बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है और हमने दोनों देशों के बीच वार्ता को भी प्रोत्साहित किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं से कहा, “हमने कुछ घरों के निर्माण के लिए म्यांमार को सहायता दी है। साथ ही हमने बंगलादेश में रह रहे विस्थापितों के लिए भी सहायता प्रदान की है। हम दोनों देशों के बीच वार्ता को प्रोत्साहित करते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा बैठक के इतर बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। श्री कुमार ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक कुछ भी साझा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “ये सभी नाजुक मुद्दे हैं लेकिन हम आशावादी हैं।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि श्री मोदी की गुरुवार को ईरानी नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी। उन्होंने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक के मुद्दे पर कहा कि श्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच भारत में अक्टूबर में होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पर सबका ध्यान है और इस पर ही चर्चा की गयी।
गौरतलब है कि म्यांमार में सेना एवं पुलिस के अत्याचार के कारण सात लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान बंगलादेश में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। भारत ने म्यांमार के प्रभावित इलाकों में रोहिंग्या शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए आवास निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी है जबकि बंगलादेश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की भी आर्थिक मदद दी गयी है।
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