नेशनल हेराल्ड केस में सुब्रमण्यम स्वामी से जिरह 27 अप्रैल को

नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड के मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के क्रास-एग्जामिनेशन(जिरह) की तिथि बदलकर 27 अप्रैल कर दिया है। आज सुब्रमण्यम स्वामी ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट से कहा कि वे क्रास-एग्जामिनेशन के लिए पहले से तय तिथि 30 मार्च को उपलब्ध नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि 30 मार्च को उन्हें मुंबई में पार्टी की बैठक में हिस्सा लेना है। इसलिए वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाएंगे। उसके बाद कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी के क्रास एग्जामिनेशन की अगली तिथि 27 अप्रैल मुकर्रर की। पिछले 23 फरवरी को कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी का क्रास-एग्जामिनेशन टाल दिया था। उसके पहले 4 फरवरी को सुब्रमण्यम स्वामी का क्रास-एग्जामिनेशन किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने स्वामी का क्रास-एग्जामिनेशन किया था। क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान चीमा ने स्वामी से पूछा था कि क्या अभियुक्तों द्वारा नेशनल हेराल्ड को स्थायी रुप से बंद करना केस का मुख्य सार है। तब स्वामी ने इससे इनकार किया था। स्वामी ने कहा था कि हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। स्वामी ने कहा था कि हमने कहा था कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन रोक दिया है। उन्होंने कहा था कि हमने जे गोपालकृष्णन पर भरोसा किया था और गोपालकृष्णन ने राहुल गांधी के ई-मेल पर भरोसा किया था। स्वामी ने कहा था कि हमने अपने साक्ष्य में कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड स्थायी या अस्थायी रुप से बंद कर दिया गया है। बंद करने के पीछे एजेएल को यंग इंडियन द्वारा खरीदने की मंशा थी। चीमा ने स्वामी से पूछा था कि क्या आपका केस ये है कि एजेएल को कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड को बंद करने के उद्देश्य से फंड मुहैया कराए थे, इसे पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से नहीं। तब स्वामी ने कहा था कि नहीं। चीमा ने स्वामी को उनके शिकायत की प्रति को वो हिस्सा दिखाया था जिसमें कहा गया था कि फंड मुहैया कराने का मुख्य उद्देश्य प्रकाशन को बंद कराना था, तब स्वामी ने कहा था कि ये सही नहीं है। हमें इस पर कुछ नहीं कहना है। चीमा ने पूछा था कि क्या आप कोई वैसा दस्तावेज दिखा सकते हैं जिसमें यंग इंडियन ने एजेएल की संपत्तियों को अधिगृहित किया हो। तब स्वामी ने कहा था कि यंग इंडियन ने एजेएल की 99.1 फीसदी हिस्सेदारी ली है। राहुल गांधी की 35 फीसदी हिस्सेदारी है। ये सभी दस्तावेज दिल्ली के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और दिल्ली हाईकोर्ट में उपलब्ध हैं। स्वामी ने कहा था कि संपत्तियों का भौतिक अधिग्रहण का सवाल बेतुका है। तब चीमा ने इस पर एतराज जताते हुए कहा था कि ये जज पर निर्भर करता है कि वो इस सवाल को बेतुका करार दे। तब स्वामी ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज कराया है। स्वामी के मुताबिक कांग्रेस नेताओं द्वारा एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को 90 करोड़ लोन देने की बात फर्जी है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि 414 करोड़ रुपए के आय को छुपाया गया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि इस आय पर टैक्स चुकाएं। स्वामी ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इस आदेश का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं की एजेएल से डील को फर्जी बताया था। सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अपनी याचिका में स्वामी ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी। इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है। जिन दस्तावेजों की स्वामी मांग कर रहे हैं, वह कांग्रेस पार्टी और एजेएल के गोपनीय दस्तावेज हैं। यह दस्तावेज स्वामी को नहीं दिए जाने चाहिए।

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