रांची। ब्रह्माकुमारी संस्थान की संचालिक निर्मला बहन ने कहा कि विकार और दिव्य गुणों में कमी ही आत्मा की योग स्थिति अथवा योग-निष्ठा में बाधक होते हैं। योगी अपने ह्रदय रूपी आसन पर अपने प्राणों के पति परमात्मा को विराजमान करता है तथा श्वास-प्रश्वास में उस प्रियतम प्रभु की याद में तल्लीन रहता है।
निर्मला बहन रविवार को हरमू स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में प्रवचन कर रही थीं। उन्होंने कहा कि साधारण एवं निकृष्ट अभीष्ट व स्वार्थ के लिए भीड़ एकत्र कर लेना कठिन नहीं है लेकिन जहां त्याग, संयम, आत्म परिशोधन, परमात्म अनुभूति और स्वपरिवर्तन का अभीष्ट सामने आता है तब भीड़ तितर-बितर हो जाती है। उन्होंने कहा कि आज विश्व परिवर्तन के संक्रमण काल से गुजर रहा है। शांति-कर्ताओं के प्रयासों के बीच महाविनाश के नगाड़े भी बज रहे हैं। ऐसे समय में शालीनता के साथ सम्पूर्ण बह्मचर्य, मन्नशुद्धि, नियमित संत्संग, आध्यात्मिक चिंतन-मनन द्वारा विचार मंथन कर श्रेष्ठ जीवन निर्माण का जीवंत उदाहरण प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का ईश्वरीय प्रतिष्ठान ही है। किसी भी मत के अनुयायिओं की संख्या बढ़ जाना ही उसका उत्थान नहीं कहलाता, बल्कि देखने वाली बात यह है कि उनमें सैद्धांतिक परिपक्वता कितनी आयी है। साथ ही साधना, त्याग और पवित्रता कितनी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का हल पवित्रता है। ब्रह्मचर्य एक प्रबल अस्त्र है। लुप्त हुए आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना के लिए नयी स्वर्गिक व्यवस्था सृजन के लिए पतितपावन परमात्मा मातृशक्ति ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा जनसमुदाय को ज्ञान प्रकाश से आलोकित कर रहे हैं।
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