अनुसूचित जाति, जनजाति टोलों के लिए पीने का पानी मुहैया, बाहुल्य इलाकों में लगाया जा रहा सोलर ट्यूबवेल

राँची: झारखंड के 10167 अनुसूचित जनजाति, जाति टोलों में सरकार स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करायेगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस योजना को पूरा करने के लिए 30 सितंबर 2019 तक की डेडलाइन दी है. इसको लेकर 640 करोड़ की निविदा भी पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से आमंत्रित की गयी है.

सूत्रों का कहना है कि इस योजना के लिए गांवों का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है. लेकिन ट्यूबवेल कहां लगेगा, कौन सी जगह पर पांच हजार लीटर क्षमता की टंकी लगेगी. इसकी पहचान अब तक नहीं की गयी है. इससे योजना के क्रियान्वित होने में भी सवाल उठने लगे हैं.

विभागीय अधिकारी कहते हैं कि सेंट्रलाइज्ड लोकेशन पर ये ट्यूबवेल स्थापित किये जायेंगे, ताकि दूसरे चरण में 25-25 घरों तक पानी का कनेक्शन दिया जा सके. पहले चरण में बोरवेल वाली जगह पर पांच हजार लीटर क्षमता का टैंक और सोलर पैनल स्थापित किया जायेगा.

अनुसूचित जाति, जनजाति टोलों के लिए पीने का पानी मुहैया कराने के लिए 500 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इसमें से राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) से 250 करोड़ रुपये मिलेंगे.

वहीं आदिम जनजाति टोलो (पीटीजी) के लिए 140 करोड़ खर्च कर पीने का पानी उपलब्ध कराया जायेगा.

इस योजना में भी 70 करोड़ रुपये केंद्र से मांगे जायेंगे. शेष राशि यानी 320 करोड़ रुपये राज्य सरकार खुद उपलब्ध करायेगी. यहां यह बताते चलें कि इस योजना को समय पर पूरा करने के लिए विभाग के 34 प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंताओं को आवश्यक निर्देश तक दिये जा चुके हैं.

तीन महीने में योजना को पूरा करने के लिए अभियंताओं से कहा गया है कि वे निविदा से संबंधित कार्रवाई को जल्द पूरा करें.

जनजातीय बाहुल्य इलाके में कौन-कौन जिले हैं शामिल
पेयजल और स्वच्छता विभाग की मानें, तो जनजातीय बाहुल्य इलाके में रांची, खूंटी, सिमडेगा, लातेहार, लोहरदगा, पलामू का कुछ हिस्सा, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा, सरायकेला-खरसांवा समेत अधिसूचित जिलों को शामिल किया गया है. सरकार ने इन जिलों के 10 लाख से अधिक परिवारों को पीने का पानी मुहैया कराने का भारी भरकम लक्ष्य तय किया गया है.

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