शहीद सोबरन मांझी के स्मारक स्थल पर सीएम ने दी श्रद्धांजलि
रामगढ़। शहीद सोबरन मांझी ने पूरे समाज को हक की लड़ाई लड़ने के लिए उत्प्रेरित किया था। वे आदिवासियों की हक की लड़ाई के अगुआ थे। आज उनके 64वें शहादत दिवस पर उनके स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। यह बात शनिवार को रामगढ़ के पैतृक गांव नेमरा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिता विश्व गुरु शिबू सोरेन के साथ यहां पहुंचे थे। उन्होंने दादा सोबरन सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हम भी विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद आदिवासियों और झारखंडियों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जब सोबरन मांझी ने सामंतों के खिलाफ जंग छेड़ी थी, तब लोगों को अपने क्षेत्र की आवश्यकता थी।
आज के लोगों को रोजगार चाहिए। कोरोना काल के बावजूद झारखंड में लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। झारखंड की एक बड़ी आबादी बड़े शहरों में पलायन करने के लिए मजबूर है लेकिन कोरोना काल में जब सभी झारखंड वासी अपने घर लौटे तो उनके घर में चूल्हा ना बंद हो, सरकार ने इसके लिए भी पूरा इंतजाम किया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज के शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ अनगिनत लोगों ने संघर्ष किया और अपनी शहादत दी। कुछ को लोग जानते हैं, कुछ को कम जानते हैं और कुछ गुमनामी के अंधेरों में खो गये। ऐसा ही एक नाम हैं सोबरन मांझी। उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र में महाजनी शोषण के खिलाफ जंग की शुरुआत सोबरन मांझी ने की थी। जिसे आगे चलकर उनके बेटे शिबू सोरेन ने मुकाम तक पहुंचाया था। सोबरन मांझी की जघन्य हत्या महाजनों ने 27 नवंबर 1957 को करवा दी थी।
रामगढ़ जिला के गोला प्रखंड स्थित लुकैयाटांड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का वितरण किया गया।
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