-डॉ. रमेश ठाकुर-
आधुनिक तकनीक के लिहाज से भारतीय सैन्य शक्तियां अब और मजबूत हो चुकी हैं। लड़ाकू सैन्य बेड़ों में पिछले दिनों राफेल विमानों के शामिल होने के बाद जल्द ही रोबो आर्मी भी सेना का हिस्सा होगी। रोबो आर्मी की पहली खेप दो सप्ताह बाद आने वाली है। इसका भारतीय सेना लंबे समय से इंतजार कर रही थी। खैर, सेना का इंतजार खत्म होने को है। घाटी इलाके में बढ़ती आतंकी घटनाओं पर अंकुश के लिए सेना के बेड़े में जल्द रोबो आर्मी शामिल होने वाली है। सेना को उम्मीद है कि रोबो तकनीक आतंकियों को खदेड़ने में कारगर साबित होगी। अमेरिका, जापान, रूस, चीन आदि देशों की सेना रोबो आर्मी का पहले से उपयोग कर रही हैं। उन्हीं की तर्ज पर अब सरकार ने भारतीय सेना में इनको शामिल करने का फैसला किया है। रोबो आर्मी से सेना की आतंकरोधी यूनिट और सुरक्षाबलों को काफी मदद मिलेगी। इसकी मदद से सेना पूरी तरह से हाईटेक बन जाएगी। भारतीय सेना रोबो का इस्तेमाल दुर्गम इलाकों जैसे कंक्रीट वाले पहाड़, घने जंगलों से घिरे क्षेत्र, बर्फीले रास्ते, कीचड़, दलदल जैसे स्थानों पर करेगी। रक्षा मंत्रालय की ओर से करीब तीन वर्ष पहले रोबो आर्मी के लिए एक विदेशी कंपनी से करार किया गया था। रोबो की पहली खेप अगले माह भारत पहुंचेगी। उनके आने के बाद रोबो की पहली तैनाती कश्मीर घाटी में करने का फैसला किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि रोबो के शामिल होने से सेना की शक्ति और मजबूत होगी। इससे भारतीय सेना घाटी में आसानी से आतंकियों के मंसूबों को नेस्तनाबूद करेगी। भारतीय सेना के एक बड़े अधिकारी बताते हैं कि रोबोट में ऐसी आधुनिक तकनीक का समावेश किया गया है जिससे वह आतंकियों के गुप्त ठिकानों की सटीक जानकारी प्राप्त करने और उन्हें तबाह करने में सक्षम होगी। सबसे ज्यादा जानकारी सीमा पार से घसपैठ करने वालों के संबंध में प्राप्त होगी। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से आतंकरोधी यूनिट और सुरक्षाबलों को मदद मिलेगी। इससे हमारी परंपरागत सेना को हाईटेक होने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि रोबो के इस्तेमाल और उनकी देखरेख के लिए रोबोटिक्स सर्विलांस यूनिट को संचालित करने के लिए सैन्याधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सेना की प्रत्येक बटालियन में सात से आठ अधिकारियों व जवानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। सेना के अधिकारियों की मानें तो, सेना अगले चरण में दुश्मन के ठिकानों में घुसकर मार करने में सक्षम रोबोटिक युद्धक वाहन (आरसीवी) खरीदने पर भी विचार कर रही है। भारतीय सेना को दुनिया की दूसरी ताकतवर सेना माना जाता है। रोबो के आगमन से दुनिया में रिमोट से संचालित होने वाले युद्धक वाहन से भारतीय सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने साल 2030 तक सेना को दुनिया की सबसे घातक व समर्थ सेना बनाने का लक्ष्य रखा है। रोबो सेना भी उसी का हिस्सा है। दरअसल, भारतीय रक्षा मंत्रालय देश की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहता। सुरक्षा दृष्टि से पिछले पांच-छह सालों से हमारी हुकूमत का नजरिया काफी बदला है। भारतीय सेना मौजूदा समय में हर आधुनिक तकनीकों से लैस हो चुकी है। सेना के पास लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता अद्भुत है। भरतीय सेना में रोबो तकनीक को शामिल करने की मांग काफी समय से हो रही है। लेकिन गंभीरता से विचार बीते दो-तीन वर्षों में ही किया गया। रोबो आर्मी अपनी अलहदा कारनामों के लिए जानी जाती है। नवीनतम तकनीक से लैस रोबो विशेषकर आतंकी पनहगार वाली जगहों की वीडियोग्राफी करके वहां के हालात के बारे में तुरंत सेना को अपडेट किया करेगी। इसके अलावा कठिन पहाड़ियों की चढ़ाई, सीढ़ी चढ़ने, बम धमाकों व गोलाबारी के दौरान लगने वाले झटकों को सहने में भी समर्थ होगी। लड़ाकू रोबोट पानी के नीचे कई मीटर की गहराई तक भी काम करने में भी सहायक हैं। रोबोट पानी के भीतर से ही ग्रेनेड को निर्धारित लक्ष्य पर दाग सकेंगे। रोबोट पाकिस्तान के अधिकृत क्षेत्र और नियंत्रण रेखा पर गहन निगरानी रखने के अलावा आसपास के ऐसी जगहों पर नजरें रखने में भी सक्षम रहेंगे, जहां पर घुसपैठियों या पाकिस्तान के बैट दस्ते के छिपे होने की आशंका रहती है। इनमें सेटेलाइट कैमरे प्रयुक्त हैं जो घने अंधेरे में भी साफ पिक्चर ले सकते हैं। इनकी बनावट जीपीएस तकनीक से की गई है। कुल मिलाकर रोबोट बार्डर के इलाकों पर नेपाल, चीन और पाकिस्तान की हर चाल को भांपने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
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