रॉबर्ट वाड्रा को मेडिकल ग्राउंड पर मिली विदेश जाने की अनुमति

नई दिल्ली। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को विदेश जाने की अनुमति दे दी है। वाड्रा ने स्वास्थ्य कारणों से विदेश जाने की अनुमति मांगी थी जिसका ईडी ने विरोध किया था।

वाड्रा की याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि इलाज कराना एक बहाना है। इसके पीछे का असली मकसद लंदन जाकर साक्ष्यों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करना है। ईडी ने कहा कि वाड्रा को भारत में बेस्ट डॉक्टर और चिकित्सा मिल सकती है। उन्हें लंदन जाने की जरूरत नहीं है। इस मामले के सह अभियुक्त संजय भंडारी लंदन में ही है। तब वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि अगर ईडी को ऐसा भय है तो हम लंदन की बजाय अमेरिका चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अस्पताल ने बड़ी आंत में ट्यूमर बताया है जिस पर वे सेकंड ओपिनियन लेना चाहते हैं।

पिछले 24 मई को सुनवाई के दौरान वाड्रा के वकील ने उनके विदेश जाने के कारणों की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी थी। कोर्ट ने ईडी को जानकारी लीक ना करने की हिदायत दी थी।

पिछले 21 मई को सुनवाई के दौरान वाड्रा के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वाड्रा की विदेश यात्रा की डिटेल किसी तीसरे पक्ष से साझा न किया जाए क्योंकि यह उनकी सुरक्षा से जुड़ा मसला है।

उल्लेखनीय है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब कोर्ट ने पिछले एक अप्रैल को वाड्रा को अग्रिम जमानत दी थी तो यह शर्त लगाया था कि उन्हें देश के बाहर जाने के पहले कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। वाड्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे मामले को निरस्त करने की मांग की है। यह याचिका अभी हाईकोर्ट में लंबित है।

मामला वाड्रा की करीब 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड की संपत्ति की खरीद से जुड़ा हुआ है। उस मामले में ईसीआईआर के आधार पर ईडी नेवाड्रा से कई बार पूछताछ कर चुका है। इस मामले में वाड्रा ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। ईडी ने वाड्रा की हिरासत में लेकर पूछताछ की मांग की है और कोर्ट से कहा है कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

ईडी के मुताबिक लंदन की यह संपत्ति 12, ब्रायनस्टोन स्क्वायर में स्थित है। इस संपत्ति को संजय भंडारी 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड में खरीदी थी और उसे 2010 में 1.9 मिलियन ब्रिटिश पाउंड में ही बेच दी थी। जबकि भंडारी ने 65900 ब्रिटिश पाउंड इसके रेनोवेशन पर खर्च कर चुका है। इसका मतलब साफ है कि उस संपत्ति का असली मालिक भंडारी नहीं था बल्कि रेनोवेशन का खर्च वाड्रा ने वहन किया था। इस मामले में वाड्रा ने अपनी सफाई में कोर्ट को बताया था कि इस केस के पीछे राजनीतिक वजह है।

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