रांची : बीटेक छात्रा हत्याकांड में आरोपित राहुल राज दोषी करार

रांची। राजधानी के चर्चित बीटेक छात्रा हत्याकांड मामले में शुक्रवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने राहुल राज को दोषी करार दिया है। सजा के बिंदु पर शनिवार को सुनवाई होगी। इस मामले में आरोपित राहुल राज उर्फ रॉकी के खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने 30 अक्टूबर 2019 को आरोप तय किया था। उल्लेखनीय है कि सीबीआई राहुल राज को लखनऊ जेल से हिरासत में लेकर रांची आई थी। दोषी ने लखनऊ में भी दुष्कर्म किया था और गिरफ्तारी के बाद वहां की जेल में बंद था। सीबीआई ने 10 दिनों की रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ भी की थी। जांच अधिकारी ने 19 सितम्बर को चार्जशीट  दाखिल की थी। सीबीआई 23 वर्षीय आरोपित को लखनऊ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर 22 जून को रांची लेकर पहुंची थी। इसके बाद उसे बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था। 15 दिसम्बर 2016 की देर रात बीटेक छात्रा के साथ दुष्कर्म और जलाकर मारने की घटना को अंजाम दिया गया था। 16 दिसम्बर को मामला प्रकाश में आया था। आरोपित राहुल के दोस्त अक्षय कुमार ने गवाही में बताया था कि घटना के कुछ घंटे बाद उसे लेकर राहुल मौके पर पहुंचा था। उस समय युवक के घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी। घटना की शाम राहुल पटना चला गया था। वहां से फोन कर पुलिसिया कार्रवाई की जानकारी लेता था। उसने बताया कि घटना के कुछ दिनों पहले आरोपित राहुल बिहार के नालंदा से रांची आने पर उसे किराए का रूम दिलाने के लिए कहा था। रूम नहीं मिलने पर मोहल्ले के ही एक मंदिर के पीछे वाले कमरे में स्थाई रूप से रहने की व्यवस्था करा दी थी। मंदिर में रहने के दौरान मोहल्ले के बच्चों से लड़की के बारे में वह अक्सर पूछता था। इस मामले में बीटेक छात्रा की दो बहनों ने अदालत को बताया कि घटना के कुछ दिन पहले आरोपित राहुल किराए का कमरा लेने के लिए उसके घर आया था। परिवार वालों ने लड़के को कमरा देने से मना कर दिया था। उसी दिन के बाद से कई बार हुआ था कि राहुल उसकी बहन का पीछा कर रहा है। घटना से पहले घर के आसपास उसे घूमते हुए भी देखा गया था। घटना के बाद से उसे कभी नहीं देखा गया। मामले की जांच पहले झारखंड पुलिस ने की। सभी तरह की जांच के बावजूद मामले में सफलता नहीं मिली तब मामले को सीआईडी को सौंपा गया। पूर्व डीजीपी सहित राज्य के वरीय अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचकर घंटों जांच पड़ताल भी की थी। बावजूद सीआईडी को भी मामले में सफलता नहीं मिली। इसके बाद सीबीआई ने 28 मार्च 2018 को केस को अपने हाथों में ले लिया।

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