नई दिल्ली। केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि रेलवे
का किसी तरह से निजीकरण नहीं होने जा रहा है और न ही रेलवे का कोई निजीकरण कर सकता
है। सरकार रेलवे के विस्तार और विकास के लिए विभिन्न माध्यमों से निवेश कराना
चाहती है। लोकसभा में रेलवे की
अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के बाद इसे सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया
गया। शुक्रवार को गोयल ने लोकसभा में कहा कि उनकी सरकार ने पिछले पांच साल
में रेलवे की क्षमता में विस्तार
करने के लिए काफी प्रयास किए हैं। वर्ष 2014 में रेलवे की हालत जर्जर
हो गई थी। पिछले 64 साल में रेलवे की क्षमता में जितना विकास हुआ है, उतना
पिछले
पांच साल में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कर दिखाया है। पिछली
सरकार
के मुकाबले उनकी सरकार में रेलवे के इलेक्ट्रीफिकेशन के काम में साढ़े चार
गुना
तेजी आई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में प्रतिवर्ष रेल संबंधी होने
वाले
हादसों में कमी आई है। अब इनकी संख्या पिछले 10 साल में घटकर 95.6 हादसे
प्रतिवर्ष रह गई है। उन्होंने माना की
वर्तमान में रेलवे ढांचे पर बड़ा बोझ है और रेलवे के विस्तार के लिए बड़े पैमाने
में निवेश की आवश्यकता है। गोयल ने कहा कि चाहे एक समर्पित कोरिडोर का निर्माण
हो, रेलवे की गति बढ़ाने की बात हो, सिग्नलन तंत्र को स्वचालित बनाने हो या पुराने
असुरक्षित मॉडल के कोच को सुरक्षित कोचों से बदलने की जरूरत हो, हर कार्य के लिए
बड़े निवेश की जरूरत है। उनकी सरकार इसके लिए विभिन्न माध्यमों चाहे पीपीपी मॉडल
हो या फिर अन्य माध्यम हो, रेलवे में निवेश बढ़ाना चाहती है। गोयल ने इस दौरान प्रमुख विपक्षी नेताओं की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार
ने अलग बजट का प्रावधान खत्म कर रेलवे के लिए राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण
अपनाया है। उन्होंने गुरुवार देर रात 12 बजे तक रेलवे अनुदान मांगों पर सदन में
चली चर्चा के लिए सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि वह हर सदस्य के प्रश्नों का उन्हें
लिखित उत्तर भेजेंगे।
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