रांची। कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफ) के संचालन का जिम्मा कोल इंडिया को देने की तैयारी शुरू हो गई है। इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। कोल मंत्रालय ने सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की गठित सब कमेटी की रिपोर्ट पर कोल मंत्रालय ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। संभावना है कि केंद्र की नयी सरकार इस पर निर्णय लेगी। सरकार के न्यूनतम पेंशन एक हजार भुगतान का मामला भी फंड को लेकर अटका हुआ है। सीएमपीएफ में कोल सेक्टर के अलावा कई अन्य कंपनियों के भी सदस्य है, जिनकी पीएफ की राशि कट कर जमा होती है। पेंशन का भुगतान भी किया जाता है। सब कमेटी ने 28 जून 2018 की हुई बैठक में यह प्रस्ताव दिया है कि सीएमपीएफ के संचालन की जिम्मेवारी कोल इंडिया को दे दी जाये। इस कमेटी के सदस्य कोल इंडिया के डीपी आरपी श्रीवास्तव, एसईसीएल डीपी आरएस झा, सीएमपीएफ के एके सिंह, यूनियन की ओर से डीडी रामानंदन, वाइएन सिंह आदि शामिल थे। उल्लेखनीय है कि कोल माइंस भविष्य निधि संगठन में कुल सदस्यों की संख्या 9 लाख 39 हजार है। सेवानिवृत्त हो गये 4.71 लाख सदस्यों को पेंशन मिलती है। अन्य 4.60 लाख कोलकर्मी भी कोल माइंस भविष्य निधि संगठन के सदस्य हैं। कोल इंडिया के करीब साढ़े सात लाख सदस्य हैं, जिनका पीएफ और पेंशन भुगतान यहां से होता है। बताया जाता है कि कोल इंडिया प्रबंधन के साथ भी हाल में कोल मंत्रालय के अधिकारियों ने बैठक कर इसके संकेत दिये हैं। इस पर अध्ययन भी शुरू हो गया है। चूंकि कोल इंडिया सहित अन्य कोल कंपनियां पीएफ राशि के साथ ही तीन फीसदी राशि सीएमपीएफ को इसके संचालन के लिए देती है और इसी राशि से सीएमपीएफ की व्यवस्था चलती है। बोर्ड सदस्य बीएमएस के वाइएन सिंह कहते हैं कि सारी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कोल इंडिया इसका संचालन करें। कोल कर्मियों के सारी समाजिक सुरक्षा दायित्व की जिम्मेवारी कोल इंडिया सहित अन्य कंपनियों की है, इसलिए इस प्रस्ताव पर अमल होना चाहिए। स्कीम में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। इसी स्कीम के तहत कंपनियां विभाग तैयार कर संचालन करें। बोर्ड सदस्य डीडी रामानंदन कहते हैं कि फंड सहित अन्य समस्याएं जो आ रही हैं। इसका भी समाधान हो जाएगा। कोल इंडिया को इस पर अमल करना चाहिए। कोल मंत्रालय इस पर विचार करें। इससे कोल कर्मियों की सामाजिक सुरक्षा पर कोई आंच नहीं आयेगी। सीएमपीएफ में टिस्को इस्को, सिंग्रेनी सहित कई माइनिंग सेक्टर के कर्मियों के भी पीएफ फंड की राशि और पेंशन का भुगतान होता है। सब कमेटी की रिपोर्ट यह है कि सभी कंपनियां अपने कोल कर्मियों के पीएफ और पेंशन की जिम्मेदारी स्वयं उठायें जैसे अन्य पब्लिक सेक्टर उठाते हैं।
पेंशन फंड लंबे समय तक चलाने के लिए 41 हजार करोड़ की कमी
पेंशन फंड लंबे समय तक चलाने के लिए चाहिए करीब 54 हजार करोड़ राशि, लेकिन मौजूदा समय में 13 हजार करोड़ ही जमा है। 41 हजार करोड़ राशि कहां से आएगी इसकी भी चिंता सता रही है। वैसे वेतन समझौता के तहत दस में सात फीसदी राशि कट रही है।
This post has already been read 7331 times!