न्यूयॉर्क: दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के विदेशमंत्रियों की बैठक में भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर के शुरुआती सम्बोधन के समय पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी नदारद रहे। इसका करारा जवाब देते हुए एस जयशंकर बाद में बैठक में शामिल हुए और कुरैशी के संबोधन का इंतजार किये बिना बैठक से बाहर चले गए। जयशंकर ने कहा कि सार्क अपने उद्देश्यों को पूरा करने में आतंकवाद के कारण विफल रहा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि सार्क के रास्ते में जानबूझ कर रोड़ा अटकाया गया। यह रोड़ा आतंकवाद का है। सार्क ने आपसी सहयोग का अवसर गंवा दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खात्मा सार्थक सहयोग की आवश्यक शर्त है। इतना ही नहीं पूरे क्षेत्र के अस्तित्व को आतंकवाद से खतरा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग आज दुनिया के हर इलाके में हो रहा है। दुर्भाग्य से सार्क क्षेत्र में व्यापार में बाधाओं और संपर्क सुविधा के अभाव के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। विदेशमंत्री ने सार्क संगठन की कुछ उपलब्धियों को भी गिनाया जो भारत की भूमिका के कारण संभव हो पाईं। उन्होंने इस संबंध में सार्क उपग्रह, सार्क विश्वाविद्यालय और भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का विस्तार सार्क देशों में किये जाने का उल्लेख किया। बाद में बैठक में शामिल हुए पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा कि उनका देश भारत से तब तक कोई संपर्क नहीं रखेगा जब तक कश्मीर में कथित रूप से दमन का अंत नहीं होता।
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