कुष्ठ रोगियों की सेवा में समर्पित पद्मश्री गणेश बापट का निधन

जांजगीर/चांपा। पद्मश्री से सम्मानित समाजसेवी दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार देर रात बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में निधन हो गया। 87 वर्षीय गणेश लंबे समय से बीमार चल रहे थे। कुष्ठ रोगियों के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाले बापट ने असहाय और गरीब मरीजों के लिए कात्रेनगर चांपा में सोंठी आश्रम का निर्माण किया था, जहां उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। नि:स्वार्थ व्यक्तित्व वाले गणेश बापट का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था, जो एक रेलवे कर्मचारी के तीन बेटों में सबसे छोटे थे। उन्होंने नागपुर से स्नातक किया था। पिता के निधन के बाद कई छोटी-छोटी नौकरियां कीं। वह हमेशा से स्वामी विवेकानंद के अनुयायी थे, जिससे उनमें समाज सेवा का भाव स्वाभाविक तौर पर उपजा था। उन्होंने एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों, जहां के मुद्दों का पहले से अनुभव था, वहां से उन्होंने समाज कार्य की शुरुआत की। उसी दौरान रोगियों की दुर्दशा को देखते हुए उन्होंने कुष्ठ रोग से लड़ने का फैसला किया था। पद्मश्री बापट मानते थे कि कुष्ठ रोगियों को वे सभी सहायता और सम्मान मिले, जिनके वे हकदार हैं। गणेश करीब 40 वर्ष से अधिक समय तक छत्तीसगढ़ के जांगजीर-चम्पा जिले में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ (बीकेएनएस) से जुड़े रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी,2018 को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित सामारोह में बापट को समाज में सेवा का नया स्तंभ बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। चांपा के सोंठी आश्रम में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में पीड़ितों की सेवा के लिए उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था। कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन् 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराल गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी।

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