रांची। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि समाज के हर लोग किसी जाति और धर्म से जुड़े हैं, लेकिन जाति और धर्म से जुड़े रहने से अधिक महत्वपूर्ण है कि समाज के उत्थान में अपना कितना योगदान दे पाते हैं। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू रविवार को रांची के हरमू मैदान में आयोजित विराट ब्रह्मषि महाधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि समाज में एक-दूसरे के साथ मिलकर और परस्पर सहयोग की भावना से ही देश और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम समाज के लिए एक आदर्श के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार समाज और सभी वर्गों के विकास के लिए अपने तरीके से काम कर रही है, ऐसे में अपने समाज के विकास में हर वर्ग की भागीदारी भी जरूरी है। राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि समाज के सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा हो और सभी अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से कर सकें। इस दिशा में समाज के लोगों को निरंतर प्रयास करने और आगे आने की जरूरत है।
समाजिक कुरीतियों व कृषि क्षेत्र के विकास में सभी का सहयोग जरूरीः रवींद्र राय
सम्मेलन का आयोजन कृषि क्षेत्र के विकास, दहेज प्रथा पर रोक, समाज में विधवाओं को सम्मान, शादी-विवाह के मौके पर अनावश्यक खर्च पर रोक और सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक समेत अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनमत तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था। सम्मेलन में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मंत्री रवींद्र कुमार राय ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों को खत्म करने का संकल्प लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज में आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक स्तर पर जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
बिहार के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने कहा कि गांव, खेत, खलिहान को मजबूत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों के क्षरण पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। पूर्व सांसद ने कहा कि शैक्षणिक अराजकता के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। एक समय भारत का साम्राज्य कंधार तक हुआ करता था।
इस अवसर पर दुमका स्थित सिद्धो-कान्हो मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति मनोरंजन कुमार सिंह ने कहा कि समाज और देश को उत्कृष्ट बनाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। महाधिवेशन में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी प्रतिनिधि शामिल हुए और इस दौरान सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने को लेकर कई प्रस्ताव पारित किये गये। इस मौके पर राज्य के विभिन्न जिलों और झारखंड के पड़ोसी राज्यों से भी बड़ी संख्या में प्रतिनिधियों ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये और कहा कि देश के निर्माण के लिए समाज की एकजुटता आवश्यक है।
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