15 प्रतिशत मरीजों को ही चिकित्सीय सुविधा की होगी जरूरत : डॉ. रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली : देश में कोरोना के मरीजों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ने के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पतालों में बेड नहीं है, ऑक्सीजन की सप्लाई भी खत्म होने के कगार पर है। वहीं, कोरोना के इलाज में कारगर रेमडेसिवीर भी लोगों को नहीं मिल रही है। इन सब समस्याओं के बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि लोग डर के कारण अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं जबकि 85 प्रतिशत कोरोना के मरीज घर पर ही ठीक हो सकते हैं। 

उन्होंने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बताया कि आज के समय में 85 प्रतिशत कोरोना के मरीज अपने आप घर पर ठीक हो रहे हैं। 15 प्रतिशत कोरोना के मरीजों को इलाज की जरूरत पड़ रही है। 85 प्रतिशत लोग घर पर ही रह कर 5-7 दिन में ठीक हो जाते हैं। लोग डर के कारण अस्पतालों में भर्ती हो जा रहे है जिसके कारण गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल में जगह नहीं मिल पा रही है।  लोग घबराए नहीं और घर पर ही चिकित्सीय सलाह पर काम करें।

रेमडेसिवीर कोई रामबाण नहीं है: डॉ. नरेश त्रेहान

मेदांता अस्पताल के डॉ. नरेश त्रेहान ने बताया कि लोग रेमडेसिवीर एंटी वायरल दाव को लेकर काफी शोर मचा रहे हैं। यह स्पष्ट करना जरूरी है कि यह दवा रामबाण नहीं है। यह सिर्फ ज्यादा गंभीर बीमार मरीजों को दिया जाता है। लेकिन लोग इस दवा का प्रयोग पहले ही करने लगते है जो कि सही नहीं है। इसी तरह स्टेरॉयड भी लोग लेने लगते हैं। देश में किसी दवा या ऑक्सीजन की कमी नहीं है, जरूरत है इन सबका सही इस्तेमाल करने की। 

खांसी, बुखार, डायरिया, बदन दर्द में लोग अपना टेस्ट करवाएं: डॉ. देवी शेट्टी

नारायणा हेल्थ के चेयरमैन डॉ. देवी शेट्टी ने बताया कि अगर इन दिनों किसी को भी खांसी, बुखार, डायरिया, बदन दर्द की शिकायत है तो वो अपना कोरोना का टेस्ट कराएं। और पॉजिटिव आने पर अपने आप को अलग कर लें। डॉक्टरी  सलाह लें और अपने ऑक्सीजन स्तर को हर 6 घंटे में नापते रहें। अगर ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम है तो डॉक्टरी सलाह लें, घबराएं नहीं। 

This post has already been read 4386 times!

Sharing this

Related posts