इस्लामाबाद। महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से दुनिया में सबसे खतरनाक देशों की सूची में छठे स्थान पर आने वाले पाकिस्तान के मामले में सिर्फ कानूनी सुधार पर ध्यान देकर घरेलू हिंसा संबंधित लैंगिक सामाजिक नियमों में बदलाव संभव नहीं है। जर्नल ऑफ इंटरनेशनल वीमेंस स्टडीज में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
नॉट एक्सेप्टिंग एब्यूज एज नॉर्म : लोकल फॉर्म्स ऑफ इंस्टीट्यूशनल रीफॉर्म टू इंप्रूव रिपोर्टिग ऑन डोमेस्टिक वॉइलेंस इन पंजाब शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया, “महिलाओं पर तेजाब फेंक कर, खतना, बाल विवाह, जबरन विवाह और कन्या भ्रूण हत्या के नाम पर हिंसा होती है।” यह रिपोर्ट मरयम तनवीर, शैलजा फेनेल, हफसाह रेहमान लाक और सलमान सूफी ने लिखी है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सुधारों पर प्रकाश डालती है, जहां कानूनी ढांचागत बाधाएं और भेदभावपूर्ण लैंगिक नियम महिलाओं को न्याय पाने से रोकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के प्रति अपराध सभी अपराधों का एक-तिहाई से ज्यादा होने के बावजूद दर्ज मामलों में दोषसिद्धि सिर्फ एक से 2.5 प्रतिशत मामलों में हो पाती है। रिपोर्ट के अनुसार, “उल्लेखनीय रूप से कम सजा दर पीड़ितों के लिए और ज्यादा संकट बन जाता है और वे नजरंदाज किए गए अपने मामलों पर ध्यान दिलाने के लिए खुद को आग लगाने जैसे गंभीर कदम तक उठा लेती हैं।” सलमान सूफी ‘पंजाब प्रोटेक्शन ऑफ वीमेन अगेंस्ट वॉइलेंस एक्ट 2016’ और दक्षिण एशिया का पहला ‘वॉइलेंस अगेंस्ट वीमेट सेंटर’ लाए थे।
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